विलुप्त हो रहे प्रवासी पक्षियों और वन्य जीवों की सताई चिंता, संरक्षण पर हुआ विचार

विलुप्त हो रहे प्रवासी पक्षियों और वन्य जीवों की सताई चिंता, संरक्षण पर हुआ विचार

Newspoint24.com/newsdesk/

सहारनपुर, उत्तर प्रदेश। सहारनपुर मंडल के मंडलायुक्त ने कहा कि वन्य जीवों और पक्षियों के संरक्षण के लिए कारगर योजना तैयार की जाए, जिसमें स्थानीय जनसहभागिता की महत्वपूर्ण भूमिका रहे। सहारनपुर के मंडलायुक्त संजय कुमार की अध्यक्षता में शनिवार को यहां एक उच्च स्तरीय बैठक हुई।

बैठक में प्रशानिक अधिकारियों, वन विभाग के अधिकारियों तथा वन्य जीव विशेषज्ञों ने विलुप्त हो रही प्रजाति के स्थानीय एवं प्रवासी पक्षियों और वन्य जीवों के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए प्रबंधन योजना तैयार करने का निर्णय लिया। बैठक को संबोधित करते हुए मंडलायुक्त ने कहा कि वन्य जीवों और पक्षियों के संरक्षण के लिए कारगर योजना तैयार की जाए, जिसमें स्थानीय जनसहभागिता की महत्वपूर्ण भूमिका रहे।

उन्होंने कहा कि मध्य गंगा बैराज के पास सौनाली और गंगा नदियों के निकट झील के पास 1221 हेक्टेयर नमभूमि में देशी और प्रवासी पक्षियों का बसेरा रहता है। इसके आसपास 1432 हेक्टेयर भूमि पर घने वन हैं। जैव विवधता के नजरिए से झील और नमभूमि बहुत महत्वपूर्ण है। पक्षियों के लिए यह स्थान उनके रहने के बहुत अनुकूल है।

उन्हाेंने कहा कि हर साल नया जोड़ा बनाने वाली जातियों की मादा पक्षी तेज आवाज वाले बड़े नर पक्षी अपनी ओर आकर्षित होते हुए देखे जा सकते हैं। उनका प्रजननकाल उनके पर्यावरण में भोजन की उपलब्धता पर निर्भर करता है। पक्षी समतापी जीव हैं, जिनका शरीर पंखों से ढका रहता है। भारतीय संस्कृति का यह मुख्य भाग है। रामायण, महाभारत और ऋग्वेद में पक्षियों के अनेकों वर्णन मिलते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक ढ़ाई सौ से अधिक पक्षियों की प्रजातियां
हैदरपुर नमभूमि में पाई जाती हैं।

संजय कुमार ने कहा कि साइबेरिया और अन्य ठंडे क्षेत्रों से हजारों किलोमीटर की यात्रा तय करके प्रवासी पक्षी नमभूमि स्थल पर पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी पक्षियों पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि पिछले तीन दशकों में पक्षियों की 21 प्रजातियां लुप्त हो गई हैं और 192 पक्षियों की प्रजाति पर समाप्त होने का संकट मंडरा रहा है। ऐसे में उन्हें संरक्षित नहीं किया गया तो हम उन प्रजाति के पक्षियों से वंचित हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि बारहसिंघा और घड़ियाल की मौजूदगी भी बेहद ही महत्वपूर्ण है। प्रबंधन की बनने वाली योजना में बारहसिंघा और घड़ियाल के संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा। पिछले दिनों यहां झील में सैकड़ों की तादाद में शीशु घडियाल नदी और झील में छोड़े गए थे।

मंडालायुक्त ने बताया कि हैदरपुर नमभूमि में डेढ़ सौ के करीब बारहसिंघा की मौजूदगी पाई गई है। यहां उनका स्थाई निवास है। वह तड़के और शाम को जलीय पौधे, घास और पत्त्यिां बड़े ही चाव से खाते और चरते हुए देखे जाते हैं। बारहसिंघा वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की प्रथम अनुसूचि में शामिल है और इंटरनेशनल यूनियन फाॅर कंजरवेशन आफ नैचर (आईयूसीएन)ने इसे लुप्तप्राय प्राणियों की श्रेणी में रखा है। इसका संरक्षण अत्यावश्यक है।

वन संरक्षक वी.के. जैन के लखनऊ विभागीय बैठक में होने के दौरान उनकी गैर मौजूदगी में योजना के बिंदुओं पर शुरूआती काम करने की जिम्मेदारी मुजफ्फरनगर के डीएफओ सूरज को दी गई।

मंडलायुक्त द्वार बुलाई गई इस बैठक में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ देहरादून की वैज्ञानिक डाक्टर रूचि बड़ौला, डाक्टर एस ए हुसैन, प्रयोजना सहायक विपुल मौर्या, अफताब उस्मानी, सामूदायिक अफसर राहिल खान, जिला वनाधिकारी मुजफ्फरनगर और हैदरपुर नमभूमि क्षेत्र के फोरेस्ट रेंजर एमके बलोदी आदि खासतौर से मौजूद थे।

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