विहिप नेता जय बहादुर सिंह शेखावत का निधन, 93 की उम्र में ली अंतिम सांस

विहिप नेता जय बहादुर सिंह शेखावत का निधन, 93 की उम्र में ली अंतिम सांस

Newspoint24.com/newsdesk/

जयपुर, राजस्थान। राम जन्म भूमि को बचाने के लिए राजस्थान में जन जागरण कर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता जय बहादुर सिंह शेखावत (खाचरियावास) का आज यहां निधन हो गया। वह करीब 93 वर्ष के थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेशाध्यक्ष डा. सतीश पूनियां ने उनके अंतिम संस्कार में पहुंचकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर डा पूनियां ने कहा “मुझे दोनों बार कारसेवा में जाने का अवसर मिला, दोनों ही बार श्री शेखावत की प्रेरणा से यह अवसर मिला।
हम उनके राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रवाद को लेकर किये जाने वाले सेवा कार्यों से हमेशा प्रेरणा लेते रहे और आगे भी उनके द्वारा किये गये सेवा कार्यों से प्रेरणा लेते रहेंगे। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को भी उनके राष्ट्र सेवा के कार्यों से प्रेरणा मिलती रहेगी।

उल्लेखनीय है कि शेखावत का जन्म तीन जून 1927 को न्यायाधीश कल्याण सिंह के घर पर हुआ था। वह शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे, उनका पूरा जीवन संघ और उनकी गतिविधियों में समर्पित रहा है। वह 1956 से 1966 तक संघ की जयपुर महानगर के कार्यवाहक रहे।
अंतिम समय तक भी राष्ट्र, हिंदू समाज एवं धर्म की सेवा में जुटे रहे।

पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के चचेरे भाई जय बहादुर सिंह संघ से प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर किये गये आंदोलन में शामिल हुए और उन्होंने तीन महीने की कठोर सजा जेल में बिताई। राजस्थान में मंदिरों को बचाने के लिए आंदोलन के अगवा रहे। जयपुर में भारत माता मंदिर की स्थापना में जय बहादुर सिंह की भूमिका सबसे अग्रणी रही।

वर्ष 1970 के कर्मचारी आंदोलन के दौरान भी वह जेल गए, 1990 में राम जन्मभूमि आंदोलन में राजस्थान के स्वयंसेवकों के जत्थे का नेतृत्व किया, 14 दिसंबर 1992 को गिरफ्तारी भी दी, गौ हत्या आंदोलन से तो शुरु से ही जुड़ गए थे। राजस्थान में गोवंश संवर्धन परिषद के अध्यक्ष रहे, 1966 से 1993 तक विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री रहे, 1997 में सरकार ने गौ सेवा आयोग का उपाध्यक्ष बनाया।

इसके अलावा उन्होंने वनवासियों एवं गौशालाओं को हर माह सहयोग राशि भेजते रहे। 20 फरवरी को उन्हें राजस्थान ‘‘सनातन पुरुष’’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया। भगवत गीता ज्ञान प्रचार ट्रस्ट के संयोजक और गांधी विद्या मंदिर सरदारशहर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष भी रहे। सरसंघचालक गुरु गोलवलकर एवं देवरस से उनका सीधा संपर्क रहा। गुरुजी के कई पत्र आज भी उनके संग्रह में मौजूद हैं।

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