इन बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं फ्लेवर फूड के सेवन से

इन बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं फ्लेवर फूड के सेवन से

Newspoint24.com/newsdesk/

फ्लेवर फूड आजकल काफी चलन में है। फलों के जूस (फ्लेवर जूस) से लेकर दूध और खाने वाली आइसक्रीम में अलग-अलग फ्लेवर यानी महक और खाद्य रंग का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इनके दुष्प्रभाव से अंजान अधिकांश लोग फ्लेवर फूड का बड़े चाव से सेवन करते हैं, लेकिन अब आपको सचेत रहने की जरूरत है। दरअसल फ्लेवर फूड स्वादिष्ट हो सकते हैं, लेकिन सेहतमंद नहीं। एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि फ्लेवर फूड सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकते हैं।

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सेहत को बिगाड़ रहे फ्लेवर फूड
मेडिकल लाइफ साइंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में बढ़ती चिंताओं के साथ आजकल फ्लेवर्ड फूड (खाद्य योजकों) पर ध्यान देना जरूरी है। विशेष रूप से, फ्लेवर फूड के सेवन से बच्चों के विकास और व्यवहार पर पड़ने वाला प्रभाव चर्चा का विषय है।

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फ्लेवरिंग फूड क्या है?
खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें फूड फ्लेवरिंग की जाती है। जैसे कि किसी खाद्य पदार्थ की मिठास बढ़ाने के लिए या फिर उसे नरम बनाने के लिए। जिसे फूड फ्लेवरिंग कहते हैं। किसी खाद्य पदार्थ को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में भी फूड फ्लेवरिंग मदद कर सकता है। हालांकि, फूड फ्लेवरिंग प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार से हो सकती है।

वैसे तो माना जाता है कि किसी खाद्य पदार्थ का प्राकृतिक फ्लेवर अधिक स्वास्थ्यवर्धक और सुरक्षित होता है, हालांकि सभी मामलों में ऐसा नहीं होता है।
उदाहरण के तौर पर बादाम में हाइड्रोजन साइनाइड नामक पदार्थ के कुछ अंश पाए जाते हैं, जो कि एक जहरीला पदार्थ है, जबकि बादाम के कृत्रिम फ्लेवर में ऐसा कोई केमिकल नहीं पाया जाता है।
इसके अलावा खाद्य पदार्थों में फ्लेवरिंग से उनके न्यूट्रिशन में कोई बढ़ोतरी नहीं होती, जो कि कुछ मामलों में प्राकृतिक रूप से हानिकारक हो सकता है।
फूड फ्लेवरिंग से जोखिम
खाद्य पदार्थों को फ्लेवर्ड करने के बाद सेफ्टी टेस्ट से गुजारा जाना चाहिए, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। यही कारण है कि उनमें कुछ तत्व ऐसे होते हैं जो संभावित हानिकारक प्रभावों के चलते आज बहस का मुद्दा बने हैं। कृत्रिम खाद्य योजकों के सेवन से जुड़े कुछ स्वास्थ्य जोखिम इस प्रकार से हो सकते हैं। जैसे-

एलर्जी की समस्या
खाद्य पदार्थ के प्रति अतिसंवेदनशीलता
दमा या अस्थमा के लक्षण
पेट में दर्द, दस्त और उल्टी
आहार के प्रति बढ़ती चिंता के कारण एक विशेष प्रकार के फूड कलर पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है, फूड कलरिंग के इस समूह को एजो-डाइज कहा जाता है। एजो-डाइज की मदद से खाद्य पदार्थों में अधिक चमकीले रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। यह खाद्य पदार्थ खाने के बाद एजो-डाइज में मौजूद कैमिकल पदार्थ का मेटाबॉलिज्म आंतों के बैक्टीरिया द्वारा जाता है और फिर एक ऐसे पदार्थ के रूप में विकसित हो जाता है, जो संभावित रूप से कैंसर पैदा कर सकता है।

रिपोर्ट के आधार पर देखा जाए तो फ्लेवर फूड का सेवन स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। जिससे कैंसर जैसी बीमारी का खतरा रहता ही है। साथ ही कई तरह की सामान्य प्रकार की बीमारियों से जूझना पड़ सकता है।
स्मोक्ड फूड (धुंए में पकाए जाने वाला खाना) को विशेष रूप से कार्सिनोजेनिक (कैंसर होने का कारण) माना जाता है, लेकिन बावजूद इसके स्मोक्ड फूड को उसके स्वाद के लिए लोग पसंद करते हैं।

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