स्वर्णनगरी के पीले पत्थर को मिलेगी विश्वस्तर पर पहचान

स्वर्णनगरी के पीले पत्थर को मिलेगी विश्वस्तर पर पहचान

Newspoint24.com/newsdesk/

जैसलमेर | राजस्थान के जैसलमेर में पाए जाने वाले पीले पत्थर को अब विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिये कई स्तर पर प्रयास शुरू किये गये हैं।
जैसलमेर के पीले पत्थर एवं इस पत्थर की खूबसूरत आर्टिटेक्ट कलात्मक कारीगरी को नेशनल प्रमोशन के लिये जैसलमेर जिला उद्योग केन्द्र के जनरल मेनेजर द्वारा राज्य सरकार को एक पत्र लिखा हैं इसके अलावा कई भूगर्भ वैज्ञानिकों द्वारा इस यूनिक पीले पत्थर की कई खूबियों के बारे में रिसर्च कर इसे ग्लोबल स्तर पर यूनेस्को की धरोहर घोषित करवाने के प्रयास किये जा रहे है।


विश्व में कला संस्कृति एवं ऐतिहासिक धरोहर के लिए विख्यात राजस्थान के सीमावर्ती जैसलमेर का प्रसिद्ध पीला पत्थर अब अतिशीघ्र ग्लोबल हेरीटेज स्टोन की श्रेणी में शामिल होने वाला हैं। दुनिया में सिर्फ जैसलमेर में मिलने वाले इस पीले पत्थर से चुनिंदा लीविंग फोर्टो में से एक सोनार किला हवेलिया सहित अन्य कई भव्य ऐतिहासिक मोन्यूमेंट के निर्माण में उपयोग लिया गया यह पीला पत्थर 160 मिलीयन वर्ष पुराने मेरिन राॅक से संबंधित हैं।

फोरमर प्रिंसीपल आफ महाराजा काॅलेज व फोर्मर प्रोफेसर यूनिवर्सिटी आॅफ राजस्थान के प्रसिद्ध ज्योलोजिस्ट डाॅ एम.के.पण्डित की टीम द्वारा किये गए इस संबंध में शोध के यूनियन आॅफ ज्योलोजिकल साईंस की जनरल में इसे प्रमाणित मंजूरी मिलने के बाद यह शोध आने वाले दिनो में जीयोहेरीटेज जनरल में प्रकाशित हो गया है।
इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र लिखकर पीले पत्थर के राष्ट्रीय प्रचार की मांग की है। इसके अलावा, कई भूविज्ञानी पत्थर पर शोध कर रहे हैं और इसे यूनेस्को विरासत संसाधन के रूप में मान्यता प्राप्त करने के प्रयास कर रहे हैं। जैसलमेर में पाया जाने वाला अजीबो गरीब पीला पत्थर अपनी कला, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए विश्व प्रसिद्ध है। पत्थर पूरी दुनिया में केवल जैसलमेर में उपलब्ध है और इसका उपयोग सोनार किले और कई अन्य ऐतिहासिक स्मारकों में किया गया है। यह पीला पत्थर 160 मिलियन साल पुरानी समुद्री चट्टान से संबंधित है।

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