सुशांत केस मुंबई में रहेगा या पटना जायेगा शीर्ष अदातल बाद में बतायेगी

सुशांत केस मुंबई में रहेगा या पटना जायेगा शीर्ष अदातल बाद में बतायेगी

Newspoint24.com/newsdesk/



नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती और अन्य की याचिकाओं पर मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने रिया चक्रवर्ती, सुशांत के पिता के. के. सिंह, केंद्र सरकार, बिहार सरकार और महाराष्ट्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा। इन सभी की ओर क्रमश: वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान, विकास सिंह, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, मनिंदर सिंह और अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए।

शीर्ष अदालत इस बात को लेकर फैसला सुनाएगा कि बिहार में दायर मुकदमे को महाराष्ट्र स्थानांतरित किया जाये या नहीं और मामले में सीबीआई जांच जारी रहेगी या महाराष्ट्र पुलिस इसका जिम्मा संभालेगी।

इससे पहले सुनवाई की शुरुआत में रिया के वकील श्याम दीवान ने दलील दी थी कि सीबीआई जांच बिना राज्य की मंज़ूरी के शुरू नहीं हो सकती है और इस मामले में जांच करने वाला पहला राज्य महाराष्ट्र है, इसलिए महाराष्ट्र सरकार की मंज़ूरी के बिना सीबीआई जांच नहीं हो सकती।

दीवान ने बिहार के पटना में दायर प्राथमिकी को मुंबई स्थानांतरित करने की मांग की और कहा कि मुम्बई पुलिस सही तरीक़े से जांच कर रही है। मुंबई पुलिस 56 लोगों से पूछताछ कर चुकी है, इसलिए जांच मुम्बई पुलिस के पास ही रहनी चाहिए, अन्यथा उसे इंसाफ नहीं मिलेगा। केंद्र की ओर से पेश श्री मेहता ने हालांकि महाराष्ट्र सरकार की ओर से दाखिल जवाब पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में अब तक प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गयी। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की आवश्यकता जतायी।

सॉलिसिटर जनरल ने सीबीआई जांच की केंद्र की मंजूरी को सही ठहराते हुए कहा कि संबंधित मामले में प्रवर्तन निदेशालय धनशोधन की जांच भी कर रहा है, जो केन्द्रीय एजेंसी है। ऐसे में दूसरी जांच एजेंसी भी केंद्र की ही होनी चाहिए, राज्य की नहीं।
श्री मेहता ने दलील दी कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 174 के तहत दुर्घटना में हुई मौत की शुरुआती जांच बहुत कम समय तक चलती है। शव को देखकर और घटनास्थल पर जाकर देखा जाता है कि मौत की वजह संदिग्ध है या नहीं। फिर प्राथमिकी दर्ज होती है, लेकिन इस मामले में मुंबई पुलिस जो कर रही है, वह सही नहीं है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने अब तक 56 लोगों से भले ही पूछताछ की है, लेकिन इसके कोई मायने नहीं है। यह कानून सम्मत नहीं है, क्योंकि पुलिस ने अभी तक इसमें प्राथमिकी दर्ज नहीं की है।


बिहार सरकार की ओर से पेश श्री मनिन्दर सिंह ने कहा कि राजनैतिक दबाव में बिहार सरकार नहीं, बल्कि महाराष्ट्र सरकार है, जिसने अभी तक सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की है। यहां तक बिहार के पुलिस अधिकारी को जबर्दस्ती क्वारंटीन करने के नाम पर रोका गया। न्यायालय को खुद इस बात पर ध्यान देना होगा कि महाराष्ट्र पुलिस का रवैया कैसा है।

मनिन्दर सिंह ने कहा कि अगर सुशांत के बैंक खाते से 15 करोड़ रुपये गायब हुए हैं तो सुशांत के पिता को पटना में रिपोर्ट दर्ज करवाने का हक था। मुंबई पुलिस ने सिर्फ मीडिया को दिखाने के लिए जांच का दिखावा किया। हकीकत में कोई जांच नहीं की गयी।
महाराष्ट्र के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने एकल पीठ द्वारा किसी मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए सुनवाई करने के अधिकार क्षेत्र पर सवाल खड़े किये। उन्होंने कहा कि इस मामले में मीडिया ट्रायल की भी दलील दी।


सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने कहा कि मीडिया में क्या-क्या रिपोर्ट हो रहा है, मैं उसे यहां बताना नहीं चाहता। लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट में तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पुत्र का नाम भी आ रहा है। उन्होंने कहा कि सुशांत को परिवार से दूर किया जा रहा था। उन्होंने कहा, “सुशांत के पिता ने बार-बार पूछा कि मेरे बेटे का क्या इलाज हो रहा है? मुझे वहां आने दो, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मामले में कई पहलू जांच के लायक हैं।”


उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सुशांत के गले पर बेल्ट के निशान थे। सुशांत की बॉडी को किसी ने पंखे से लटका हुआ नहीं देखा। सुशांत के पैसे को लेकर धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात पटना में हुआ था, इसलिए प्राथमिकी पटना में दर्ज कराई गई है। सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

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