लगातार गोल करने के लिए स्ट्राइकर को अपनी छठी इंद्री जगाना जरूरी : भूटिया

लगातार गोल करने के लिए स्ट्राइकर को अपनी छठी इंद्री जगाना जरूरी : भूटिया

Newspoint24.com/newsdesk/

नयी दिल्ली । भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान और स्ट्राइकर बाइचुंग भूटिया का कहना है कि स्ट्राइकर को लगातार गोल करने के लिए अपनी छठी इंद्री जगाना जरुरी होता है।
100 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले भारत के पहले फुटबॉलर भूटिया ने एआईएफएफ टीवी के साथ चैट करते हुए कहा, “यह छठी इंद्री पर आधारित है। आपको भांपना पड़ता है कि गोल कहां से कर सकते है। विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकरों के पास यह क्षमता होती है। आपको स्थिति को पढ़ना होता है। जब तक आप छठी इंद्री को नहीं जगाते हैं तो आप सफल स्ट्राइकर नहीं बन सकते।”

टीम के मौजूदा कप्तान सुनील छेत्री ने कहा था कि भूटिया भाई के लिए गोल करना जीने-मरने की बात थी। इस पर उन्होंने कहा कि जब भी आपको लगे कि मौका है तो आपको कोशिश करनी चाहिए।

भूटिया ने कहा, “स्ट्राइकर के लिए यह मौके काफी नाजुक होते हैं। मैं छेत्री से कहता था कि आपको मौके भुनाने की जरुरत है जहां से आप गोल कर सकें। अगर आप बाहर से बॉक्स में घुस रहे हैं तो आपको पहले डिफेंडर को छकाना होगा और जब आप मुड़ेंगे और उनसे आगे आएंगे, अन्य खिलाड़ी आपको घेरने की कोशिश करेंगे। 10 में से एक या दो स्थिति में आपको गोल करने का मौका मिलता है। लेकिन आपको यह लगातार करना होता है। एक स्ट्राइकर के तौर पर आपको भांपना होता है क्योंकि आपके पास गेंद को नेट में डालने के लिए सिर्फ एक सेकेंड चाहिए होता है। यहां स्ट्राइकर को तकनीकी और मानसिक रूप से मजबूत होना पड़ता है।”

भूटिया ने कहा, “कई स्ट्राइकर मेरे पास आते हैं और पूछते हैं कि जब हम गोल नहीं कर पाते हैं तो हमें क्या करना चाहिए। मैं उनसे यही कहता हूं कि चाहे कुछ भी हो जाए आपको मौके नहीं छोड़ने चाहिए। अगर आप नौ बार असफल होकर हिम्मत हार जाते हो तो आप 10वीं बार गेंद के पास भी नहीं पहुंच पाएंगे।”
उन्होंने कहा, “अगर आप रोनाल्डो और मैसी को देखेंगे तो पता चलेगा कि वह हर बार तीन-चार डिफेंडर को पार नहीं करते हैं। सभी स्ट्राइकर गेंद का इंतजार करते हैं और फिर मौके को फिनिश करते हैं। अंत में यह मौका भांपने की बात है। मैं दोबारा कहता हूं कि अगर आप लगातार कोशिश नहीं करेंगे, मौके नहीं बनाएंगे आप भांपने की आदत को नहीं विकसित कर पाएंगे।”
भूटिया ने कहा, “मैं आक्रामक मिडफील्डर था और मुझे तेजी से बॉक्स में घुसकर मौके भुनाने की आदत थी। मैं अपने आप को उस स्थिति में खड़ा रखता था जहां से गोल कर सकूं। उस समय हम इतनी चतुराई से नहीं खेल पाते थे। कई लोग आपको नहीं बताते हैं कि आपको किस स्थिति में खेलना है। यह स्वाभाविक था जैसे मैं खेलता था।”

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