राजस्थान स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट से झटका, हाईकोर्ट का फैसला रद्द करने से इनकार

राजस्थान स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट से झटका, हाईकोर्ट का फैसला रद्द करने से इनकार

 

Newspoint24.com/newsdesk/संजय कुमार /

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को आदेश जारी करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर अमल हमारे फैसले पर निर्भर करेगा। कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर विस्तार से सुनवाई करने की जरूरत है। इस मामले पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। स्पीकर की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 24 जुलाई को आदेश के लिए हाईकोर्ट ने मामला लिस्ट किया है। हाईकोर्ट के आदेश में लिखा है कि स्पीकर से फिलहाल कार्रवाई टालने का आग्रह करते हैं लेकिन हाईकोर्ट ऐसा आदेश नहीं दे सकता है। सिब्बल ने 1992 के किहोटो होलोहान केस का हवाला दिया। उन्होंने दसवीं अनुसूची में लिखे स्पीकर के अधिकार का भी हवाला देते हुए कहा कि अयोग्यता पर स्पीकर के फैसले की न्यायिक समीक्षा हो सकती है। फैसले से पहले कोर्ट दखल नहीं दे सकता है। स्पीकर के फैसले के बाद भी कोर्ट के दखल का दायरा काफी सीमित होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से पूछा कि अगर हाईकोर्ट में किसी विधायक की याचिका लंबित हो और स्पीकर उसे अयोग्य करार दे, क्या तब भी हाईकोर्ट दखल नहीं दे सकता? इस पर सिब्बल ने कहा कि तब दखल दे सकता है। कोर्ट ने पूछा कि हाईकोर्ट में विधायक क्यों गए हैं? सिब्बल ने कहा कि उन्होंने स्पीकर की तरफ से भेजे गए नोटिस को चुनौती दी है। लेकिन ऐसा नहीं किया जा सकता। तब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने इन बिंदुओं पर हाईकोर्ट में जिरह नहीं की?

सिब्बल ने कहा कि कुछ विधायक दल की तरफ से बुलाई गई बैठक में नहीं आए। हरियाणा के एक रिसॉर्ट में बैठ गए हैं। कोर्ट ने पूछा कि स्पीकर ने नोटिस जारी क्यों किया? तब सिब्बल ने कहा कि पार्टी के चीफ व्हिप ने स्पीकर के सामने इस बारे में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने पूछा कि स्पीकर ने जो नोटिस जारी किया, वो कहां है । तब सिब्बल ने स्पीकर का नोटिस पढ़कर सुनाया। उन्होंने कहा कि 17 जुलाई को विधायकों को पक्ष रखना था। लेकिन वो हाईकोर्ट चले गए। स्पीकर ने सिर्फ नोटिस जारी किया है, कोई फैसला नहीं लिया।

सिब्बल ने बागी विधायकों के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि बैठक में आने की बजाय वे मीडिया में बयान दे रहे थे। तब कोर्ट ने पूछा कि क्या इन लोगों ने पार्टी छोड़ दी है? किसी को पार्टी में रहते हुए भी अयोग्य करार दिया जा सकता है? तब सिब्बल ने कहा कि पहले कुछ मामलों में हुआ है। तब कोर्ट ने कहा कि असंतोष की आवाज़ को ऐसे दबाया नहीं जा सकता है। सिब्बल ने कहा कि विधायक स्पीकर के सामने आएं। वे बताएं कि पार्टी की बैठक में आने की बजाय हरियाणा के रिसोर्ट में क्यों गए। अगर स्पीकर उनके जवाब से संतुष्ट होंगे तो कार्रवाई नहीं करेंगे। तब कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने निर्देश नहीं दिया है। स्पीकर से आग्रह किया है। आप एक दिन इंतज़ार क्यों नहीं कर सकते हैं ? तब सिब्बल ने कहा कि लेकिन कोर्ट निर्देश कैसे जारी कर सकता है? तब कोर्ट ने कहा कि यानि आपको आदेश में लिखे दो शब्दों we direct से दिक्कत है जबकि आदेश में जगह-जगह रिक्वेस्ट (आग्रह) का इस्तेमाल किया है।

सिब्बल ने कहा कि स्पीकर का पद संवैधानिक है। स्पीकर को निर्णय लेने से नहीं रोका जा सकता है। विधायक जो भी कहना चाहते हैं उसे स्पीकर के सामने रखें। तब कोर्ट ने कहा कि कुछ मसले पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र से जुड़े होते हैं। सिब्बल ने कहा कि स्पीकर को तय करने दिया जाए कि विधानसभा के बाहर की गतिविधि के लिए इन विधायकों पर कार्रवाई हो सकती है या नहीं । सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर ने खुद दो बार हाईकोर्ट में फिलहाल कार्रवाई टालने पर सहमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से ऐसा फैसला दिखाने को कहा जिसमें पार्टी की बैठक में न आने के लिए अयोग्यता को सही ठहराया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मसले पर विस्तार से सुनवाई की ज़रूरत है। तब सिब्बल ने कहा कि तब तक हाईकोर्ट फैसला दे देगा। सरकार अस्थिर करने की कोशिश हो सकती है। आप इस केस को अपने पास ट्रांसफर कर लें। सिब्बल ने कहा कि अगर आप विस्तार से सुनना चाहते हैं तो हाईकोर्ट में चल रही कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दीजिए। सुप्रीम कोर्ट ने साल्वे और रोहतगी से जवाब मांगा। रोहतगी ने कहा कि हाईकोर्ट को फैसला देने दिया जाए।

सचिन पायलट की ओर से हरीश साल्वे ने कहा कि हाईकोर्ट में पांच दिन बहस चली है। स्पीकर ने खुद अपनी कार्रवाई रोकने पर सहमति दी। अब हाईकोर्ट को आदेश जारी करने से नहीं रोका जा सकता है। तब कोर्ट ने पूछा कि क्या हाईकोर्ट के आदेश को यहां चुनौती नहीं दी जा सकती है। तब साल्वे ने कहा कि बिल्कुल दी जा सकती है। यही तो हम कह रहे हैं। हाईकोर्ट को फैसला लेने दिया जाए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हाईकोर्ट के आदेश जारी करने पर रोक नहीं लगा रहे है। लेकिन इस आदेश पर अमल हमारे फैसले पर निर्भर करेगा। इस मामले पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।

इस मामले में राजस्थान कांग्रेस के बागी गुट के नेता सचिन पायलट ने भी केवियट याचिका दायर किया है। स्पीकर ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कोर्ट ने 24 जुलाई तक सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने की बात कही है। याचिका में कहा गया है कि होटो होलोहॉन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अयोग्यता के मामले में स्पीकर जबतक फैसला नहीं ले लेता, कोर्ट कोई दखल नहीं दे सकता है। याचिका में कहा गया है कि स्पीकर को कारण बताओ नोटिस भेजने का अधिकार है। अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। स्पीकर की भूमिका की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट और संविधान ने की है।

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