जीवनदान अभियान के लिए चलायी जायेगी ‘राजस्थान अंग रथ यात्रा’

जीवनदान अभियान के लिए चलायी जायेगी ‘राजस्थान अंग रथ यात्रा’

Newspoint24.com/newsdesk/

झुंझुनू। हम इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं तो ऐसे समय में अंगदान व अंग प्रत्यारोपण जैसे  संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण विषय की तरफ हमारा कम ध्यान है। उसी का ही नतीजा है कि राजस्थान में जब से कोरोना महामारी ने दस्तक दी है तब से अंग प्रत्यारोपण पुरी तरह से बंद हो चुका है। इस वजह से वह रोगी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। जो अंग प्रत्यारोपण की जरूरत में इंतजार करते गंभीर रूप से बीमार है। जिनका कोई अंग खराब हो चुका है। उनके लिए उपयुक्त अंगदाता का अंग ही जीवन जीने कि एकमात्र आशा है। 

पीडीयू मेडिकल कॉलेज चूरू में कार्यरत डॉ उपासना चौधरी ने बताया कि कोरोना महामारी में लोगों के फेफड़ों एवं हृदय पर बहुत ही दुष्प्रभाव पड़ रहा है एवं जिससे उनके फेफड़े और हृदय खराब हो रहे हैं और मृत्यु दर में बढ़ोतरी हो रही है। इसलिए इस वक्त अंगदान अति आवश्यक है लोगों के जीवन बचाने के लिए। राजस्थान में आज तक 37 लोगों ने ही अंग दान किया है। परंतु अंग प्रत्यारोपण का इंतजार करते हुए बहुत लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। डॉ. उपासना चौधरी ने बताया कि उनका एनजीओ महात्मा गांधी स्वास्थ्य संस्थान एक “जीवनदान अभियान” चला रहा है। जिस में वे ‘राजस्थान अंग रथ” यात्रा चलाएंगे, संपूर्ण राजस्थान में एवं जमीनी स्तर पर जाकर लोगों को अंगदान के महत्व के बारे में जागरूक करेंगे एवं उन्हें प्रोत्साहित करेंगे कि वे अंगदान के लिए शपथ लें। 


अंगदान इंसान द्वारा किया गया सबसे बड़ा दान है। इसके लिए उन्होंने जयपुर में एसओटीटीओ की स्थापना की है, जिससे अंगदान को बढ़ावा मिल सके। डॉ. उपासना चौधरी ने बताया कि इस विषय को समझने के लिए उन्होंने अपनी संस्थान के साथ स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन जयपुर एवं एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर जाकर अंगदान के विषय में संपूर्ण जानकारी ली। डॉ.  चौधरी ने बताया कि वह यह “जीवनदान अभियान “स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (एसओटीटीओ) एवं एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर के सहयोग से चलाएंगे। डॉ.  चौधरी बताती है कि अंगदान में कोई भी व्यक्ति अपने अंग (दिल, लीवर, फेफड़े, पेनक्रियाज, किडनी व कॉर्निया आदि) प्रत्यारोपण के लिए दान कर सकता है। 


वे बताती है कि अंगदान दो तरह के होते हैं जीवित व मृत। जीवित अंगदान में एक किडनी, लीवर व फेफड़े का भाग दान किया जा सकता है और मृत्यु उपरांत नेत्रदान, त्वचा दान व ब्रेन डेड के बाद हृदय, किडनी, लीवर, पेनक्रियाज व नेत्र आदि दान किए जा सकते हैं। एक व्यक्ति छह से 10 लोगों का जीवन बचा सकता है। तो आइए हम मरने के बाद अपने अंगों का दान करने की प्रतिज्ञा करें और अपनी भावनाओं को परिवार और परिजनों के साथ साझा करें।

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