मुंबई : नालासोपारा में कोरोना मरीज की मौत, हॉस्पिटल ने भेजा नौ लाख का बिल

मुंबई : नालासोपारा में कोरोना मरीज की मौत, हॉस्पिटल ने भेजा नौ लाख का बिल

Newspoint24.com/newsdesk/

मुंबई । पालघर जिले की वसई विरार शहर मनपा (वीवीएमसी) क्षेत्र में कोरोना का कहर जारी है। क्षेत्र में मरीजों की संख्या 1500 पार कर चुकी है। वहीं, अब तक 53 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। इधर, कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए मनपा प्रशासन पूरी तैयारी का दावा कर रहा है। तो, इस महामारी के इलाज की सुविधा देने वाले मनपा क्षेत्र के कुछ हॉस्पिटल मनमाने बिल बनाकर पीडि़तों की पीड़ा बढ़ा रहे हैं।

कोरोना पीडि़त की मौत और इसके बाद भारी भरकम बिल को लेकर नालासोपारा पश्चिम का रिद्धि विनायक हॉस्पिटल चर्चा में है। हॉस्पिटल ने कोरोना से मरने वाले एक मरीज के मरिजनों को 9 लाख 61 हजार का बिल थमा दिया है। मृतक के परिजनों ने हॉस्पिटल पर लापरवाही पूर्वक इलाज और मनमाना बिल बनाने का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर मामला वायरल होने के बाद हॉस्पिटल और डॉक्टरों के खिलाफ लोगों में नाराजगी व्याप्त हो गई है। वहीं, हॉस्पिटल का कहना है कि एक्मो तकनीक जैसी पद्धति से इलाज के चलते यह बिल आया है।


जानकारी के अनुसार नालासोपारा पूर्व के सेंट्रलपार्क के रहने वाले 55 वर्षीय व्यक्ति को 7 मई को सीने में दर्द व सांस लेने की तकलीफ हुई। परिवार वाले उसे पहले वसई विरार मनपा अस्पताल में ले गये। वहां कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने के कारण नालासोपारा पश्चिम के रिद्धि विनायक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने पीडि़त को आयसीयू में भर्ती कर दिया। दो दिन बाद उनकी कोरोना रिपोर्ट निकाली गई। जिसमें व्यक्ति पॉजिटिव पाया गया। डॉक्टरों ने उसे आयसीयू में ही रखा था। इधर, रिपोर्ट आने के दो दिन बाद पूरे परिवार को एकांतवास में रख दिया गया। इस दौरान पीडि़त की परिवार से फोन पर बात होती थी। पीडि़त ने अपने बेटे को कहा कि अब मुझे कोई तकलीफ नहीं है। स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। इस दौरान हॉस्पिटल वाले उसके परिजनों को फोन करके पैसे जमा करने के लिए कहने लगे। परिजनों ने थोड़ा थोड़ा करके दो लाख रुपये जमा कर दिए।

डॉक्टरों ने परिजनों से कहा कि उन्हें एक्मो मशीन पर रखा गया है। उसके लिए और रुपये जमा करना होगा। परिजनों ने डॉक्टरों से कहा कि हमारे पास जितने भी पैसे थे, सब जमा कर दिए हैं। हमने गहने गिरवी रखकर रुपये जुटाए थे। परिजनों ने उनकी मेडिकल पॉलिसी के बारे में डॉक्टरों को बताया। जिसके बाद डॉक्टरों ने पीडि़त को एक्मो मशीन पर रखा था। इलाज के दौरान 19 मई को पीडि़त की मौत हो गई। पर, परिजनों को मौत के बारे में नहीं बताया गया। परिजनों का आरोप है कि दो दिन तक शव वहीं अस्पताल में ही रखा रहा। दो दिन बाद जब मृतक का बेटा अस्पताल में शव देखने के लिए गया, तो वार्डबॉय ने कहा कि इनकी मौत दो दिन पहले ही हो गई थी। अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजनों ने कहा कि मौत के बाद अस्पताल ने परिजनों को 9 लाख 61 हजार रुपये का बिल भेज दिया। मरीज की मौत और भारी बिल बनाने का मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अस्पताल पर सवाल उठने लगे।


सोमवार को हॉस्पिटल के मालिक व मुख्य ने अपनी सफाई के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी थी।

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डॉ. गोयल ने कहा कि कोई डॉक्टर नहीं चाहता कि उसके मरीज की मौत हो। डॉ. गोयल ने कहा कि हमने मरीज के साथ ठगी नहीं की है। आईसीयू, वेंटिलेटर, एक्मो तकनीक से इलाज, मेडिसिन व डॉक्टरों की फीस पकड़ कर उन्हें बिल दिया गया है। मरीज से कोई ज्यादा बिल नहीं लिया गया है। वहीं मृतक के बेटे ने आरोप लगाया कि अस्पताल में मरीजों के लिए कोई भी सुविधा नहीं है। सौ मरीजों के लिए एक ही बाथरुम है।

जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि रिद्धि विनायक हॉस्पिटल विवादों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा है। इससे पहले भी कई मरीजों की मौत के बाद यहां के डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लग चुके हैं। डॉक्टरों की मनमानी के चलते यहां कई बार बवाल हो चुके हैं।

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