बॉलीवुड के हास्य अभिनेता जगदीप जाफरी का निधन

बॉलीवुड के हास्य अभिनेता जगदीप जाफरी का निधन

Newspont24.com/newsdesk/

मुंबई। बीते जमाने की मशहूर फिल्म शोले के ‘सूरमा भोपाली’ बॉलीवुड के हास्य अभिनेता जगदीप जाफरी का बुधवार रात निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे।
अपने हास्य अभिनय से लाखों फिल्म प्रेमियों के चहेते जगदीप ने शोले फिल्म में शूरमा भोपाली की भूमिका से अपनी अमिट छाप छोड़ी।
उनका असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था। मध्यप्रदेश के दतिया में 29 मार्च 1939 को जन्मे जगदीप को अपने अभिनय के लिए आइफा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी मिला था।
जगदीप ने 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया था लेकिन शोले फिल्म में ‘सूरमा भोपाली’ की भूमिका से उन्हें बड़ी शोहरत मिली। जगदीप ने फिल्मी सफर 1951 में शुरु किया था।
जगदीप ने अपने सिने करियर में करीब 400 फिल्मों में कई कॉमिक किरदार निभाए हैं। वर्ष 1975 में प्रदर्शित भारतीय सिनेमा की महान शाहकार रमेश सिप्पी निर्देशित फिल्म शोले में जगदीप ने ‘सूरमा भोपाली’ का किरदार निभाया, जो उनकी पहचान बन गया। फिल्म शोले में जगदीप का बोला गया संवाद ‘हमारा नाम सुरमा भोपाली ऐसई नई हे’ काफी मशहूर हुआ। आज भी फैन्स के बीच जगदीप सूरमा भोपाली के नाम से मशहूर हैं। इस किरदार की कहानी भी बड़ी रोचक है।

Riteish Deshmukh remembers actor Jagdeep


‘सूरमा भोपाली’ का किरदार दअसल भोपाल के वन अधिकारी नाहर सिंह पर आधारित था। इनकी डींगे मारने की आदत थी। इस वजह से लोग उनकाे ‘सूरमा’ कहते थे। नाहर सिंह, सुप्रसिद्ध लेखक जोड़ी सलीम-जावेद से अक्सर मिलते थे। इस लेखक द्वय ने जब फिल्म ‘शोले’ लिखना शुरू किया तो कॉमेडी का पुट डालने के लिए नाहर सिंह से मिलता किरदार ‘सूरमा भोपाली’ तैयार कर दिया। अब फिल्म रिलीज़ हुई और ‘सूरमा भोपाली’ मशहूर हो गए लेकिन इधर नाहर सिंह का काफी मज़ाक बनने लगा। नाहर सिंह सलीम-जावेद से खफा हो गए। एक तो उनका फिल्म में मज़ाक बनाया, ऊपर से वन अधिकारी को लकड़हारा बना दिया। ऐसे में नाहर सिंह सीधे मुंबई पहुंच गए और जगदीप के सामने आकर खड़े हो गए।
इस क़िस्से के बारे में जगदीप ने एक इंटरव्यू में कहा था, “फिल्म शोले के रिलीज होने के एक साल बाद मैं एक स्टूडियो में शूटिंग कर रहा था। तभी मेरी नजर एक आदमी पर पड़ी, वो मुझे घूर रहा था। कुछ दिनों पहले ही निर्देशक शक्ति सामंत पर हमला हुआ था। ऐसे में मैं काफी डर गया था। मैं चुपचाप वहां से निकल रहा था तभी उसने मुझे रोककर कहा कहां जा रहे हो खां। मुझे देखो मेरा रोल किया है और मुझे ही नहीं पहचानते हो। दो साल का बच्चा भी मेरा लकड़हारा कहकर मजाक बना रहा है। जगदीप को समझ नहीं आया कि किस तरह से नाहर सिंह को समझाया जाए लेकिन बाद में जॉनी वॉकर ने उनकी मदद की और नाहर सिंह को समझा कर वापस भोपाल भेजा।
जगदीप ने एक फिल्म का निर्देशन किया था जिसका नाम सूरमा भोपाली था। इस फिल्म में लीड किरदार भी उन्होंने खुद निभाया था। जगदीप ने तीन शादियां की थी। जगदीप के दो बेटे अभिनेता जावेद और नावेद जाफरी ने लोकप्रिय शो ‘बूगी-बूगी’ कार्यक्रम को होस्ट किया है।

अपने जबरदस्त कॉमिक अभिनय से दर्शकों के दिलों में गुदगुदी पैदा करने वाले हंसी के बादशाह जगदीप ने बॉलीवुड में पांच दशक से अधिक समय तक राज किया लेकिन उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिये काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा।
मध्यप्रदेश के दतिया में 29 मार्च, 1939 को जन्में जगदीप का मूल नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था। उनके पिता वकील थे। जगदीप जब आठ साल के थे तो पिता का निधन हो गया। देश का विभाजन हुआ, तो परिवार तितर-बितर हो गया। ऐसे में जगदीप अपनी मां के साथ बंबई (वर्तमान मुंबई) आ गये। जगदीप का मन पढ़ाई में नहीं लगता था, ऊपर से पैसों की तंगी के कारण उनका पढ़ाई से मन उचट गया। पढ़ाई छोड़ वह काम की तलाश में लग गए और सड़कों पर कंघी बेचना शुरू कर दिया।
जगदीप ने अपने सिने करियर की शुरुआत फिल्मकार बी. आर. चोपड़ा की वर्ष 1951 में प्रदर्शित फिल्म ‘अफसाना’ से बतौर बाल कलाकार के रूप में की। जगदीप ने इस फिल्म में सिर्फ इसलिए काम किया क्योंकि कंघी बेचकर दिनभर में वह जितना कमा पाते थे, फिल्म में उन्हें उससे दोगुना मिल रहा था। इसके बाद जगदीप ने बतौर बाल कलाकार लैला मजनूं , मुन्ना और आरपार जैसी फिल्मों में काम किया। विमल रॉय की फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ से जगदीप फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। फिल्म ‘हम पंछी एक डाल के’ में जगदीप के काम को लोगों ने काफी सराहा और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी जगदीप की तारीफ की थी।

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