लॉक डाउन के 31 वें दिन कोरोना के खतरे को लेकर अधिक गंभीर हुए भारतीय

लॉक डाउन के 31 वें दिन कोरोना के खतरे को लेकर अधिक गंभीर हुए भारतीय

Newspoint24.com / newsdesk / आईएएनएस

नई दिल्ली | लॉक डाउन के 1 महीने के बाद भारत में स्थिति अब गंभीर नजर आ रही है कोरोना वायरस को लेकर भारतीय भी पहले से ज्यादा गंभीर हुए हैं। बीते 1 महीने तक घरों में बंद भारतीयों ने अब कोरोनावायरस को संजीदगी से लेना शुरू कर दिया है और वे इसके बढ़ते हुए खतरे को भांपने लगे हैं। 130 करोड़ की आबादी वाले इस देश का 1 महीने का संयम और धैर्य के साथ घर के अंदर बंद रहना कोई मामूली बात नहीं है हिंदुस्तान के इतिहास में पहली मर्तबा देशवासी एक महीने तक अपने अपने घरों में बंद रहे। हालांकि इस दौरान कुछ ऐसे भी दृश्य देखने को मिले जो असहज कर रहे थे दिल्ली गाजियाबाद बॉर्डर पर मजदूरों का इकट्ठा होना या मुंबई के बांद्रा स्टेशन के बाहर प्रवासी मजदूरों की भीड़ जुटना यह ऐसे मौके थे जो लॉक डाउन के पालना में बाधा डाल रहे थे खैर बात बीत गई है। यह लड़ाई यहीं खत्म नहीं हुई है लॉक डाउन से एक हद तक कोरोना वायरस का खतरा टला है खत्म नहीं हुआ है इसे समझना बेहद जरूरी है। अब इस बात को भारतीय समझने लगे यही बहुत बड़ी बात है।

लॉक डाउन के 31 वें दिन कोरोना के खतरे को लेकर अधिक गंभीर हुए भारतीय

गर सरकारों ने मन बनाया तो आगे भी वे सरकार के समर्थन के लिए लॉक डाउन के लिए तैयार है। एक सर्वे के मुताबिक भारतीय जनमानस अब कोरोना वायरस को लेकर मार्च के मुकाबले अप्रैल में ज्यादा गंभीर हुआ है। देश के बड़े राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, देश की राजधानी दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश,पंजाब, दक्षिण भारतीय राज्यों में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उधर पश्चिम बंगाल में कोरोनावायरस का प्रकोप दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीकी जमात के मकरज में इक्कठा हुये खट्टा हुए जमातीयों ने एक हद तक कोरोना कोरियर का काम किया। दिल्ली पुलिस के द्वारा खदेड़े जाने पर वह देश के तमाम हिस्सों में फैल गए और अपने साथ ले गए मरकज का प्रसाद। आज देश में जो हालत है उसके पीछे एक हद तक यह जमाती भी जिम्मेदार हैं । केंद्र सरकार और राज्यों के तमाम प्रयासों के बावजूद देशभर में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या अब 23हजार तक जा पहुंची है। वही 7 सौ से ज्यादा लोगों की जाने भी जा चुकी है।


कोरोनावायरस महामारी के बढ़ते खतरे को लेकर गंभीरता बढ़ी है। संकट कितना अधिक है और इसे कितनी गंभीरता से लिए जाने की आवश्यकता है, इसको लेकर अधिकांश भारतीय में तेजी देखी जा रही है। आईएएनएस/सी-वोटर के सर्वे में गुरुवार को यह बात सामने आई। ‘मेरा मानना है कि कोरोनावायरस से खतरा अतिशयोक्तिपूर्ण है’, कुल 54.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि यह कथन गलत है या वे इस कथन से गढ़ता से असहमत हैं। वहीं 37.9 प्रतिशत का कहना है कि वह इस अभिकथन से सहमत हैं।

38.4 प्रतिशत ने कहा कि वे खतरे को बेहद गंभीरता से देखते हैं, जबकि 16 प्रतिशत ने कहा कि वे बस इसे सिर्फ गंभीर मानते हैं। उन्होंने क्रमश: बयान से ‘²ढ़ता से असहमत’ और ‘सिर्फ असहमत’ होने की बात कही।

इस बीच, 23.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अत्यधिक आत्मसंतुष्टि दिखाई, जो ²ढ़ता से इस बात से सहमत हैं कि वायरस से खतरा वास्तव में अतिशयोक्तिपूर्ण है। वहीं, सिर्फ 14.5 फीसदी ने कहा कि वे बयान से सिर्फ सहमत हैं।

सर्वे में 16 मार्च से लेकर 21 अप्रैल के बीच का समय लिया गया है।

पिछले एक महीने में, अधिक से अधिक भारतीय कोविड-19 के खतरे के प्रति सचेत हुए हैं। उदाहरण के लिए 16 मार्च को ट्रैकर के शुरू होने के समय सिर्फ 21.3 प्रतिशत ने कहा कि वे इस कथन से ‘असहमत’ हैं कि वायरस का खतरा अतिशयोक्तिपूर्ण है। हालांकि, एक महीने से अधिक समय के बाद 21 अप्रैल को यह संख्या 38.4 प्रतिशत हो गई।

महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात COVID-19 से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले राज्यों के रूप में उभरे हैं, साथ में भारत के लगभग 49.5% मामलों का लेखा-जोखा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने लॉकडाउन के दौरान एक महीने की अवधि में COVID-19 मामलों की रैखिक वृद्धि को बनाए रखने में कामयाबी हासिल की है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत अपने लॉकडाउन के दौरान एक महीने की अवधि में COVID-19 मामलों की रैखिक वृद्धि को बनाए रखने में कामयाब रहा है।

महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात COVID-19 से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले राज्यों के रूप में उभरे हैं, साथ में भारत के लगभग 49.5% मामलों का लेखा-जोखा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने लॉकडाउन के दौरान एक महीने की अवधि में COVID-19 मामलों की रैखिक वृद्धि को बनाए रखने में कामयाबी हासिल की है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत अपने लॉकडाउन के दौरान एक महीने की अवधि में COVID-19 मामलों की रैखिक वृद्धि को बनाए रखने में कामयाब रहा है।

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