चीन के चंगुल से नेपाल बाहर नहीं आया तो तिब्बत जैसे हालात होंगे : आरएसएस सूत्र

चीन के चंगुल से नेपाल बाहर नहीं आया तो तिब्बत जैसे हालात होंगे : आरएसएस सूत्र

Newspoint24.com/newsdesk/

नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मानना है कि अगर चीन के चंगुल से नेपाल जल्द बाहर नहीं निकला तो फिर उसकी स्थिति भी तिब्बत जैसी हो जाएगी। आरएसएस सूत्रों ने नेपाल की वर्तमान सरकार को चीन की विस्तारवादी नीतियों से सतर्क रहने को कहा है।

सांस्कृतिक समानताओं, मित्र राष्ट्र और सर्वाधिक हिंदू आबादी होने के कारण नेपाल के प्रति आरएसएस की हमेशा से रुचि रही है। राजशाही के दौरान साल 2008 तक नेपाल घोषित तौर पर हिंदू राष्ट्र हुआ करता था। हालांकि, 2008 में ही राजशाही खत्म होने के बाद नेपाल को तत्कालीन सरकार ने एक धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया था। फिर भी आरएसएस, नेपाल को हिंदू राष्ट्र के तौर पर ही देखता है।

नए नक्शे को लेकर भारत और नेपाल के बीच पैदा हुए विवाद पर आरएसएस की लगातार नजर बनी हुई है। आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर नेपाल और भारत के रिश्ते को लेकर रिपोर्टर से अपना विचार साझा किया।

वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “नेपाल में ओली की कम्युनिस्ट सरकार चीन के हाथों में खेल रही है। नेपाल के राष्ट्रवादी लोग ओली सरकार का विरोध भी कर रहे हैं। ओली के नेतृत्व में नेपाल ने चीन के आगे पूरी तरह सरेंडर कर दिया है। अगर चीन के चंगुल से नेपाल बाहर नहीं आया तो फिर उसकी स्थिति तिब्बत की तरह होगी।”

दरअसल, आरएसएस हमेशा शीर्ष पदाधिकारियों की बैठक के बाद ही किसी ज्वलंत मामले पर आधिकारिक बयान जारी करता है। ऐसे में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने अनाधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर अपनी राय दी।

आरएसएस पदाधिकारी ने आगे कहा, “नेपाल को चीन के प्रभाव से बाहर आना ही होगा। नहीं तो उसकी संप्रभुता ही खतरे में पड़ जाएगी। क्योंकि चीन की विस्तारवादी नीतियों की दुनिया गवाह है। पड़ोसी देशों की जमीन पर उसकी निगाह हमेशा रहती है। नेपाल की जमीन पर भी उसने कब्जा शुरू कर दिया है। मित्र राष्ट्र नेपाल को चीन की चाल से होशियार रहना होगा।”

नक्शा विवाद के बीच आरएसएस ने केंद्र सरकार और भारतीय मीडिया दोनों को नेपाल को ‘मित्र देश’ के तौर पर ही देखने की सलाह दी है। आरएसएस का मानना है कि चीन और पाकिस्तान दोनों दुश्मन देश हैं, उनसे कड़ाई बरतनी जरूरी है, लेकिन नेपाल के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं है। क्योंकि नेपाल की सरकार भले इस वक्त भारत के साथ असहयोगात्मक रवैया अपनाए हुए है, लेकिन वहां की जनता और कई दलों के लोग भारत के साथ खड़े हैं। नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार की नीतियों का राष्ट्रवादी नेताओं और आम जनता ने विरोध करना शुरू किया है।

आरएसएस ने भारतीय मीडिया को विवाद की स्थिति में नेपाल के लिए कठोर शब्दों से बचने की सलाह दी है।

संघ पदाधिकारी ने कहा, “भारत और नेपाल के बीच सैंकड़ों वर्षों के संबंध हैं। नेपाल हमारा सांस्कृतिक साथी है। दोनों भाई-भाई हैं। दोनों देशों में बहुत समानताएं हैं। ऐसे में जो भी विवाद हैं उन्हें शांत माहौल में नरमी के साथ सरकार को सुलझाना होगा। चीन और पाकिस्तान वाली पॉलिसी नेपाल के मामले में लागू नहीं हो सकती। नेपाल के मामले में नरम मगर कारगर रणनीति अपनानी होगी। मीडिया ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न करे, जिससे नेपाल की जनता को किसी तरह की तकलीफ हो।”

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