तब्लीगी जमात में शामिल विदेशी नागरिकों की याचिका पर सुनवाई 24 को

तब्लीगी जमात में शामिल विदेशी नागरिकों की याचिका पर सुनवाई 24 को

Newspoint24.com/newsdesk/

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तबलीगी जमात में शामिल विदेशी नागरिकों की याचिका पर सुनवाई टाल दी है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले पर सुनवाई टालने की मदद की जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 24 जुलाई के लिए टालने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान मेहता ने मामले की सुनवाई टालने की मांग करते हुए कहा कि तबलीगी जमात के लोगों की स्थिति पर ज़्यादा स्पष्टता आ जाएगी। उनकी इस मांग का वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने कोई आपत्त नहीं जताई। उसके बाद कोर्ट ने 24 जुलाई तक सुनवाई टालने का आदेश दिया। पिछले 2 जुलाई को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि हर मामले में अलग-अलग आदेश पारित किया गया है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सीयू सिंह और मेनका गुरुस्वामी ने कहा था कि विदेशा नागरिकों को उनके देश वापस भेजना चाहिए क्योंकि उनका वीजा निरस्त कर दिया गया है। उन्हें ब्लैकलिस्ट तभी किया जाए जब वे दोबारा भारत आएं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वापस भेजने के लिए संबंधित प्राधिकार के पास जाएं। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि 2756 विदेशी नागरिकों को निजामुद्दीन के तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया है। सभी लोगों को ट्रेस नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा था कि 1906 लुकआउट सर्कुलर जारी किए गए हैं। 11 राज्यों ने लॉकडाउन के मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ 205 एफआईआर दर्ज किए हैं। उसके बाद कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सभी तथ्य प्राधिकार के पास रखने का निर्देश दिया था। पिछले 29 जून को कोर्ट ने सुनवाई टाल दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि क्या हर विदेशी नागरिक के वीजा रद्द करने को लेकर अलग-अलग आदेश राज्य अथॉरिटी की ओर से जारी किए गए। कोर्ट ने पूछा कि अगर वीजा रद्द हुए हैं तो अभी तक ये विदेशी नागरिक देश में क्यों हैं। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने प्रेस रिलीज दिखाया जिस पर जस्टिस खानविलकर ने कहा था कि वीजा रद्द करने का आदेश कब जारी किया गया तब सीयू सिंह ने कहा था कि कोई आदेश जारी नहीं किया गया केवल प्रेस रिलीज जारी किया गया। तब जस्टिस खानविलकर ने पूछा था कि हम ये जानना चाहते हैं कि क्या इसके लिए कोई अलग से आदेश पारित किया गया। तब सीयू सिंह ने कहा था कि अब तक कोई आदेश पारित किया नहीं किया गया है।

पिछले 26 जून को भी कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई टाल दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को याचिका की प्रति केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों को देने का निर्देश दिया था। फ्रांसीसी नागरिक मौलाना अला हदरामी और दूसरे विदेशी नागरिकों ने याचिका दायर किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील फुजैल अहमद अय्युबी ने याचिका में कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय का ब्लैक लिस्ट करने का फैसला एकतरफा और मनमाना है। गृह मंत्रालय ने 2 अप्रैल को 960 विदेशी नागरिकों को ब्लैकलिस्ट करने का आदेश दिया जबकि 4 जून को 2500 विदेशी नागरिकों को ब्लैकलिस्ट किया गया । ब्लैकलिस्ट करने के पहले विदेशी नागरिकों का पक्ष भी नहीं सुना गया। गृह मंत्रालय का ये फैसला संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि गृह मंत्रालय के फैसले की वजह से ये नागरिक अपने देश वापस भी नहीं जा पा रहे हैं। हदरामा ने कहा कि वे दूसरे याचिकाकर्ताओं की वजह से मार्च में क्वारेंटाईन किए गए थे। वे मई के अंत में क्वारेंटाईन से बाहर आए थे। अभी भी उनके मूवमेंट पर प्रतिबंध है। उन्हें वापस अपने देश जाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है।

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