श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में 30 सितम्बर को होगी सुनवाई, शाही ईदगाह हटाने की मांग

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में 30 सितम्बर को होगी सुनवाई, शाही ईदगाह हटाने की मांग

Newspoint24.com/newsdesk/

मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर सोमवार की सुबह 11 बजे सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा ने केस की सुनवाई शुरू की। कुछ ही देर बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 30 सितंबर तय करके वादी पक्ष को हाजिर होने के निर्देश दिए। 

श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, इसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है। श्रीकृष्ण विराजमान, स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि और उक्त लोगों की ओर से पेश किए दावे में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी। भक्तों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच पांच दशक पूर्व हुए समझौते को अवैध बताते हुए उसे निरस्त करने और मस्जिद को हटाकर पूरी जमीन मंदिर ट्रस्ट को सौंपने की मांग की है। 

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने शुक्रवार को मथुरा की अदालत में दायर की गई याचिका में कहा कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से गलत है और भगवान कृष्ण एवं उनके भक्तों की इच्छा के विपरीत है। मंदिर परिसर में स्थित ईदगाह को हटाकर वह भूमि मंदिर ट्रस्ट को सौंप दी जाए। शुक्रवार को लखनऊ की रहने वाली रंजना अग्निहोत्री और त्रिपुरारी त्रिपाठी, सिद्धार्थ नगर के राजेश मणि त्रिपाठी और दिल्ली निवासी प्रवेश कुमार, करुणेश कुमार शुक्ला और शिवाजी सिंह ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को जमीन देने को गलत बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दावा पेश किया। 

सोमवार को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास से शाही मस्जिद को हटाने की मांग के मामले में सुनवाई के लिए सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा ने 30 सितंबर की तिथि निर्धारित की है। सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा ने बताया कि कोर्ट में 30 सितंबर बुधवार की सुबह 11 बजे श्री कृष्ण जन्मस्थान मामले को लेकर सुनवाई शुरू की जाएगी, कोर्ट में वादी पक्ष सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता को भी हाजिर होना होगा। कोर्ट द्वारा निर्णय लिया जाएगा कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले की याचिका की सुनवाई आगे की जाए या फिर खारिज कर दिया जाए। फिलहाल कोर्ट की ओर से प्रतिवादी पक्ष को किसी प्रकार का कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है।

21 फरवरी 1951 को हुई श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा और 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा को देखकर दुखित हुए. स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय जी से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए। मदन मोहन मालवीय ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा। 21 फरवरी 1951 में श्री कृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना की। इसके बाद 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया। वहीं 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई। 

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