हाथरस कांड : शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा , ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए या नहीं

हाथरस कांड : शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा , ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए या नहीं

Newspoint24.com/newsdesk/

नई दिल्ली । हाथरस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि सीबीआई जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट करेगा या हाईकोर्ट । ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए या नहीं और पीड़िता के परिवार और गवाहों की सुरक्षा यूपी पुलिस करेगी या सीआरपीएफ।

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट ने परिवार की सुरक्षा और वकील की उपलब्धता पर जवाब मांगा था। हमने विस्तार से जानकारी देते हुए हलफनामा दाखिल किया है। परिवार ने बताया है कि उन्होंने सीमा कुशवाहा को वकील नियुक्त किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया करा दो गई है, घर में सीसीटीवी कैमरे भी लगा दिए गए है।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि आज उस अर्जी पर भी सुनवाई होनी है जिसमें ट्रायल यूपी से दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की गई है। वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा एक आरोपी की तरफ से पेश हुए। जैसे ही उन्होंने बहस करना शुरू किया इंदिरा जयसिंह ने आपत्ति जताई । लूथरा ने कहा कि आप कुछ एक याचिकाकर्ता की तरफ से बहस कर रही हैं जिसकी अर्जी अभी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार नही की गई है। जयसिंह ने कहा कि पीड़ित परिवार को केंद्रीय सुरक्षा बल की सुरक्षा प्रदान की जाए न कि उत्तर प्रदेश पुलिस की। इतना ही नही इस मामले में स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर की नियुक्ति की जानी चाहिए। सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पीड़ित परिवार जांच की जानकारी लीक कर रहा है। जिस पर उन्हें आपत्ति है। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस बात को उन्हें हाईकोर्ट के समक्ष रखना चाहिए।

तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ की ओर से बहस करने पर तुषार मेहता ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा की किसी को भी पीड़ित परिवार के नाम पर चंदा उगाही नही करने दिया जाएगा। इससे पहले इनका एनजीओ इस तरह के काम कर चुका है। चीफ जस्टिस ने कहा कि अब किसी भी नई अर्जी पर सुनवाई नही करेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें सारे संसार की परामर्श नही चहिए। हमनें आरोपी, सरकार और पीड़िता को सुन लिया है ये काफी है। अब किसी भी नई अर्जी पर सुनवाई नही करेंगे।

यूपी के डीजीपी की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा पीड़ित परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा की मांग की गई है। हम पीड़ित की सुरक्षा के लिए इसके लिए भी तैयार हैं। लेकिन कृपया इसे यूपी पुलिस पर नकारात्मक टिप्पणी की तरह न लिया जाए। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने यूपी पुलिस पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं की है। सुनवाई के दौरान कई वकीलों ने एक के बाद एक बोलना शुरु कर दिया तब जज उठकर चले गए।

यूपी सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि पीड़ित परिवार को पर्याप्त सुरक्षा दी जा रही है। पीड़िता के गांव और घर के बाहर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। यूपी सरकार ने कहा है कि पीड़िता के परिवार के हर सदस्य को निजी सुरक्षकर्मी दिए गए हैं। घर के आसपास 8 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यूपी सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट जांच की निगरानी करे। जां की समय सीमा तय हो। कोर्ट सीबीआई से हर 15 दिन में रिपोर्ट ले।

सामाजिक कार्यकर्ता सत्यमा दुबे, विकास ठाकरे रुद्र प्रताप यादव और सौरभ यादव ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि यूपी में मामले की जांच और ट्रायल निष्पक्ष नहीं हो सकती है। याचिकाकर्ताओं की ओऱ से वकील संजीव मल्होत्रा ने कहा है कि पुलिस का यह बयान कि परिवार की इच्छा के मुताबिक शव का दाह-संस्कार किया गया है, झूठा है क्योंकि पुलिसकर्मियों ने खुद की मृत शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया। याचिका में कहा गया है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के एक वर्तमान या रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में इस मामले का ट्रायल उत्तरप्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की गई है।

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