938 वर्ष पुरानी परम्पराओं के सूत्र में बंधा हमीरपुर

938 वर्ष पुरानी परम्पराओं के सूत्र में बंधा हमीरपुर

Newspoint24.com/newsdesk/पंकज मिश्रा/



हमीरपुर । जनपद में कोरोना महामारी के बीच यहां रक्षा बंधन के त्यौहार की धूम मची है। 838 साल पुरानी परम्पराओं के सूत्र में कजली उत्सव बंधा हुआ है, हालांकि पहली बार भाईयों ने मास्क लगाकर बहनों से सामाजिक दूरी के बीच राखी बंधवायी है।

बुन्देलखंड क्षेत्र में रक्षाबंधन को कजली उत्सव के रूप में भी मनाये जाने की परम्परा है। 1182 में वीरभूमि महोबा के राजा परमाल की पुत्री चन्द्रावलि अपनी हजारों सहेलियों के साथ कीरत सागर में कजरियां विसर्जित करने जा रही थी तभी पृथ्वीराज चौहान के सेनापति चमुन्द्रा राय ने चन्द्रवलि को घेर लिया था। यहां कीरत सागर के पास राजा परमाल की ओर से आल्हा उदल व पृथ्वीराज की सेना के बीच भीषण युद्ध हुआ था। जिसमें राजा परमाल की विजय हुयी थी। रक्षाबंधन के अगले दिन विजय मिलने के कारण बुन्देलखंड में रक्षा बंधन त्यौहार को कजली उत्सव के रूप में मनाये जाने की परम्परा पड़ी।

रक्षाबंधन को हमीरपुर जनपद के ग्रामीण इलाकों में विजय श्री के रूप में मनाया जाता है। किसी समय हमीरपुर जनपद में महोबा शामिल था लेकिन महोबा का विभाजन होने के बाद भी यहां इस परम्परा को आज भी बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। सुमेरपुर क्षेत्र के विदोखर, इंगोहटा समेत दर्जनों गांवों में आज रक्षाबंधन त्यौहार की धूम मची हुयी है।

सैकड़ों साल पुरानी परम्परा हालांकि कोरोना के कारण टूट गयी है लेकिन घरों और मंदिरों में इस पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं ने कजरियों को लेकर मंगल गीत गाये है। वहीं कहीं-कहीं सामाजिक दूरी के बीच आल्हा गायन के भी कार्यक्रम कराये जा रहे है।

एतिहासिक परम्परा के मुताबिक आज के दिन पंधरी गांव में सावन मास के आखिरी दिन बैलगाड़ी दौड़ तथा आल्हा गायन और अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे लेकिन अबकी बार कोरोना महामारी के कारण ये कार्यक्रम नहीं हो रहे है। सिर्फ रस्म अदायगी के लिये ही कहीं-कहीं समिति स्तर में आयोजन हो रहे है। बिंवार कस्बे में सावन मास के समापन पर पाथा देवी मंदिर में भजन कीर्तन गायन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। शिव मंदिर में पिछले एक माह से लगातार ओम नमरू शिवाय का जाप चल रहा था। साथ ही मंदिर में अखंड रामायण का पाठ का भी समापन हो गया।

हाथी दरवाजे में कोरोना के कारण दंगल और मेला रद्द

हमीरपुर शहर के हाथी दरवाजे पर महावीरन मंदिर प्रांगण में पिछले सौ सालों से रक्षाबंधन त्यौहार के दिन मेला और दंगल का आयोजन होता था जिसमें आसपास के इलाकों के नामीगिरामी पहलवानों की कुश्तियां होती थी लेकिन कोरोना के कारण ये कार्यक्रम रद्द कर दिये गये। इस मेले में सैकड़ों गरीब दुकानदारों और कुम्हार बिरादरी के लोग मिट्टी के खिलौने और चूड़ियों के अलावा अन्य सामान बेचते थे लेकिन इस बार मेला रद्द हो जाने से उनमें मायूसी देखी जा रही है। जनपद में आज ही सुमेरपुर और कुरारा क्षेत्र के अलावा तमाम इलाकों में रक्षाबंधन पर्व को शाम दंगल मेले की धूम मचती रही है मगर अबकी बार कोरोना महामारी ने सांस्कृतिक परम्पराओं के रंग में भंग कर दिया है।

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