मेडागास्कर में ‘गांधी कथा’

मेडागास्कर में ‘गांधी कथा’

Newspoint24.com/newsdesk/

नयी दिल्ली । दुनिया के दूसरे बड़े द्विपीय देश मेडागास्कर में भारतीय दूतावास में राजदूत अभय कुमार की पहल से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के समापन समारोह पर ‘गांधी कथा’ आयोजित की गई।

राजदूत अभय कुमार ने शनिवार को यहां बताया कि इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ एडवांड स्टडी के निदेशक एवं गांधी दर्शन के ज्ञाता प्रो. मकरंद परांजपे द्वारा ‘ओसेनिक गांधी’ थीम पर वाचन की गई गांधी कथा में मेडागास्कर और कॉमरोस प्रतिभागी शामिल हुए। इस कथा वाचन को कल फेसबुक लाइव पर भी प्रसारित किया गया।

प्रो. परांजपे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर अटलांटिक और हिन्द महासागर के प्रभाव का उल्लेख करते हुए बताया कि महात्मा ने शिक्षा हासिल करने के लिए हिंद महासागर के पार अटलांटिक महासागर तक इंगलैंड गए। इसके बाद वह भारत लौट आए। फिर 1893 में वह दक्षिण अफ्रीका गए और 1915 में पुन: भारत लौट आए।

इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ एडवांड स्टडी के निदेशक ने गांधीजी के व्यक्तित्व को रचने में समंदर के योगदान के बारे में बताया कि उन्होंने साम्राज्यवाद के प्रतीक अटलांटिक महासागर और फिर प्रेम, मैत्री, सत्य और सद्भाव के प्रतीक हिंद महासागर को भी देखा। वह ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने नए विचार दिए। वह विश्वबंधुत्व के हिमायती तो थे लेकिन घोर राष्ट्रवादी भी थे। वह मानते थे कि समाज को समुद्र की तरह होना चाहिए, जहां प्रत्येक व्यक्ति केंद्र है और स्वयं को पूरी तरह अभिव्यक्त करने की क्षमता रखे और फिर अपने आप को भावनात्मक रूप से इस प्रकार विस्तार दे कि सबकुछ जीवंत हो उठे।

इस मौके पर मेडागास्कर में भारतीय राजदूत अभय कुमार ने कहा कि मेडागास्कर में भारतीय मूल के 18 हजार लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकांश गुजरात के हैं। इसी तरह कोमोरोस में भी 250 लोग भारतीय मूल के हैं और इनमें भी अधिकांश गुजरात के हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैवविविधता के क्षरण जैसे संकट के दौर से गुजर रहा है तब महात्मा गांधी की शिक्षा एवं ज्ञान और प्रासंगिक हो जाता है।

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