कृषि विधेयकों के विरोध में किसानों ने किया राष्ट्र व्यापी आंदोलन

कृषि विधेयकों के विरोध में किसानों ने किया राष्ट्र व्यापी आंदोलन

Newspoint24.com/newsdesk/

नयी दिल्ली । कृषि सुधार से संबंधित विधेयकों को संसद में पारित किये जाने के खिलाफ विभिन्न किसान संगठनों ने शुक्रवार को देश व्यापी सड़क जाम और बंद आयोजित किया।

इस दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के प्रमुख राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्ग इस आंदोलन के कारण अवरुद्ध रहे। कई राज्यों में पुलिस ने सड़क जाम हटवाने के लिए प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया लेकिन किसान अपनी-अपनी जगहों पर डटे रहे।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार ‘अनजान’ ने यहां एक बयान में किसानों के आंदोलन को सफल बताया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)ने 2014 में यह कहकर सत्ता हासिल की थी कि वह स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को लागू करेगी। किसानों का संपूर्ण कर्जा माफ किया जायेगा। बिजली बिल माफ होंगे, कृषि लागत दर एक चौथाई कर दी जाएगी लेकिन हो क्या हाे रहा है, यह सबके सामने हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र की सत्ता में आते ही नरेन्द्र मोदी सरकार जमीन हड़पने के लिए संसद में पारित किसान समर्थक भूमि अधिग्रहण कानून को समाप्त करने के लिए सबसे पहले एक अध्यादेश ले आई। मोदी सरकार अब खेती हड़पने के लिए तीन काले कानून लेकर आई है। केन्द्र सरकार खेत, खलिहान और खदानों को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का घिनौना षड्यंत्र रच रही है। इससे करोड़ों किसानों, मजदूरों, आढ़तियों की रोजी-रोटी छिन जायेगी। धन्ना सेठों को लूटने की आजादी देने का दस्तावेज संसद से पारित कराया गया है।

श्री अंजान ने कहा कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर जनता ने व्यापक समर्थन देकर किसाना आंदोलन को सफल बना दिया है। किसानों के इस राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन को देखकर मोदी सरकार को समझ लेना चाहिए कि अब किसान झांसे में आने वाले नहीं हैं।

देश के कृषि प्रधान राज्यों पंजाब और हरियाणा में बड़ी संख्या में किसान और आढ़तिये सड़कों पर उतर आये और अनेक राष्ट्रीय राजमार्गों और रेल रूट को जाम कर दिया। किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर संसद में पारित कृषि विधेयक वापिस लेने की मांग की। किसानों के आंदोलन के मद्देनज़र इन राज्यों में विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की आज होने वाली परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं।

किसानों के इस आंदोलन को दोनों राज्यों में कांग्रेस समेत अनेक विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। पंजाब में आम आदमी पार्टी(आप) और शिरोमणि अकाली दल(शिअद) तथा हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), आढ़ती संगठनों तथा हरियाणा सर्व कर्मचारी संगठन का भी समर्थन मिल रहा है। कई पंजाबी गायक भी किसान आंदोलन के समर्थन में आ गये हैं। पंजाब में चौदह पूर्व आईएएस अधिकारी किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।

बंद के दौरान दोनों राज्यों में आज मंडियां और बाजार बंद रहे , हालांकि अस्पताल, नर्सिंग होम, दवा की दुकानों, करियाना दुकानों, बैंक आदि आवश्यक सेवाओं को बंद से मुक्त रखा गया है लेकिन बाजारों में अजीब का सन्नाटा पसरा दिखाई दिया। पुलिस बल बाजाराें, राष्ट्रीय और रागमार्गों पर गश्त करते नजर आये।
पंजाब में हालांकि किसानों ने गुरुवार से ही अपना आंदोलन शुरू दिया था और वे राज्य के गुजरने वाली अनेक रेल लाईनों पर अनिश्चितकालीन धरनों पर बैठ गये। रेलवे ने दोनों राज्यों से गुजरने वाली 20 से ज्यादा रेलगाड़ियों का आवागमन शनिवार तक रद्द कर दिया गया है। अमृतसर से चलने वाली 12 गाड़ियां रद्द कर दी गईं और अमृतसर पहुंचने वाली ट्रेनों को अम्बाला में ही रोक दिया गया है। कुछ गाड़ियों के रूट में परिवर्तन किया गया है।

किसान संगठनों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार ने ये विधेयक वापिस नहीं लिये तो शनिवार से आंदोलन की रूपरेखा में बदलाव किया जाएगा। संगठनों ने राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद से इन विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने की भी अपील की है। किसानों ने कहा कि कृषि ही उनके जीवन का मुख्य आधार है तथा दावा किया कि पारित कृषि विधेयकों से वे बरबाद हो जाएंगे। उनकी जमीनें छीन ली जाएंगी। खेती पर निजी कम्पनियों का कब्जा हो जाएगा। मंडियां और न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

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