दुबे मुठभेड़: जस्टिस चौहान को हटाने संबंधी अर्जी पर फैसला सुरक्षित

दुबे मुठभेड़: जस्टिस चौहान को हटाने संबंधी अर्जी पर फैसला सुरक्षित

Newspoint24.com/newsdesk/


नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे एवं उसके गुर्गों की पुलिस मुठभेड़ की जांच के लिए गठित आयोग के प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एस चौहान की निष्ठा पर सवाल खड़े करने वाली अर्जी पर मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय एवं उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

श्री उपाध्याय ने एक मीडिया संस्थान में प्रकाशित रिपोर्ट के हवाले से शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश बी एस चौहान की निष्ठा पर इस आधार पर सवाल खड़े किये हैं कि न्यायमूर्ति चौहान के दो-दो रिश्तेदार भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं।

मामले की सुनवाई के दौरान श्री मेहता ने कहा कि न्यायिक आयोग के प्रमुख न्यायमूर्ति चौहान के खिलाफ वकील घनश्याम उपाध्याय की दलीलें अपमानजनक है।

मुख्य न्यायाधीश ने भी श्री उपाध्याय की दलीलें से आपत्ति दर्ज करायी और कहा कि किसी समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार पर इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ अनावश्यक टिप्पणी नहीं की जा सकती। उन्होंने श्री उपाध्याय से सवाल किया कि आखिर न्यायमूर्ति चौहान निष्पक्ष क्यों नहीं हो सकते?

न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, “ऐसे कई न्यायाधीश हैं जिनके भाई और पिता सांसद हैं। क्या आप यह कहना चाह रहे हैं कि वे सभी जज पक्षपाती हैं। क्या किसी दल से जुड़े रहना कोई गैर-कानूनी काम है?” इसके बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

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