बाबा विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती बीच सड़क पर पार्थिव शिवलिंग बना कर हुई सदियों पुरानी परंपरा खंडित

बाबा विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती बीच सड़क पर पार्थिव शिवलिंग बना कर हुई सदियों पुरानी परंपरा खंडित

Newspoint24.com / newsdesk /

वाराणसी। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब बाबा विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती बीच सड़क पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर की गई हो। ऐसा लॉकडाउन की वजह से नही हुआ। इसके पीछे की वजह विरोध स्वरुप ऐसा किया गया। प्रतिदिन होने वाली इस आरती को बाबा विश्वनाथ के अर्चकों ने ही किया, लेकिन सड़क पर। प्रधान अर्चक गुड्डू महाराज ने बताया कि उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया, जिसकी वजह से बीच सड़क पर ये आरती विरोध स्वरूप की गई। अर्चकों का आरोप है कि सैकड़ों साल की परंपरा को आज मंदिर प्रशासन ने तोड़ दिया।
महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच चले आ रहे तनाव की वजह से विवाद एक बार फिर गहरा गया है। गौरतलब है कि मंदिर में सप्तऋषि आरती सैकड़ों सालों से महंत परिवार के जिम्में ही है और 1983 में मंदीर के अधिग्रहण के बाद भी ये जिम्मेदारी इन्ही के कंधों पर रही। लेकिन आज मंदिर प्रशासन ने इन्हें ये करने से रोक दिया। इस विवाद का कारण काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण की वजह से है। जिसमें परिसर में स्थित कैलाश मंदिर के गुम्बद को कॉरिडोर काम करा रहे ठेकेदार द्वारा तोड़ने का आरोप है। जबकि मंदिर से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य को प्रभावित करने के लिए महंत परिवार द्वारा बार-बार अफवाह फैलाई जा रही है कि परिसर में स्थित पुरानी मन्दिरों को तोड़ा जा रहा है।

मंदिर प्रशासन अब सप्तऋषि आरती कराएगी जिसे उनके द्वारा नियुक्त किये गए अर्चक किया करेंगे। हालांकि इस बारे में मंदिर प्रशासन ने अभी तक आधिकारिक बयान जारी नही किया है। वहीं इस विवाद के बाद कॉरिडोर का काम कर रहे ठेकेदार द्वारा वाराणसी के दशाश्वमेघ थाने में तहरीर दी गयी है, जिसमें सप्तऋषि करने वाले मुख्य अर्चक और दो पत्रकारों के ऊपर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने मंदिर की गुम्बद तोड़ने की गलत अफवाह उड़ाई है। महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच चल रहा ये तनाव आज बीच सड़क पर भी दिखा और काशी में सड़क पर सप्तऋषि आरती का एक इतिहास भी बना। विरोध स्वरूप की गई आरती पर वाराणसी में लोगों ने नराजगी जाहिर की है।

कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने महंत परिवार पर अफवाह फ़ैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने महंत परिवार के एक सदस्य की ओर इशारा करते हुए कहा की फर्जी अफवाह उड़ाई जा रही है। कैलाश मंदिर में किसी भी तरह का कोई भी हिस्सा क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। कमिश्नर ने बताया कि उनके मकान का एक हिस्सा खरीदा जा चुका है। बावजूद इसके वो खाली नहीं कर रहे थे। उसी हिस्से से सामान निकाला गया था, जिसको लेकर उन्होंने अफवाह उड़ाई है।

कमिश्नर ने सख्त लहजे में कहा कि जिन लोगों ने भी मंदिर से जुड़ी ये अफवाह उड़ाई है, उनके खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। कमिश्नर ने बताया कि जो भी चाहे इसको चेक करा सकता है। वहां कोई भी हिस्सा क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। ये सिर्फ उन लोगों की साजिश है, जिन लोगों ने पैसे लेकर भी अब तक मकान खाली नहीं किया।

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