नीट और जेईई परीक्षाओं को लेकर संवेदनशीलता से फैसला करे केन्द्र सरकार- सीएम गहलोत
Newspoint24.com/newsdesk/
जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार से नीट और जेईई परीक्षाओं को लेकर संवेदनशीलता से फैसला करने की उम्मीद जताते हुए छात्रों के हित में एग्जाम स्थगित करने की मांग की है।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार रात एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा कि कौन चाहेगा कि एग्जाम नहीं हों, हम तो एग्जाम के पक्षधर हैं, लेकिन देश के हालात वर्तमान में ये सही नही हैं। कई जगह बाढ़ आई हुई है और कोरोना की समस्या तो सामने है ही। उन्होंने कहा कि जेईई और नीट में जो बच्चे परीक्षा देते हैं, वे अपना करियर बनाने के लिए बहुत ही मेहनत करते हैं।अधिकांश बच्चे अपने अभिभावकों के साथ परीक्षा देने जाते हैं। उनके सेंटर दूर दूर दिए हुए हैं, वो वहां कैसे पहुंच पाएंगे। कोरोना के कारण ट्रेनें और फ्लाइट की सुविधा भी नहीं हो पा रही हैं। होटलें बंद पड़ी हुई हैं तो वे कैसे रुक पाएंगे। बाढ़ आई हुई है तो कैसे बच्चे आ पाएंगे, मतलब स्थिति अलग बनी हुई है। वरना कोई नहीं चाहेगा कि एग्जाम नहीं हों।
मेरा मानना है कि छात्रों की क्या भावना है, पेरेंट्स क्या सोचते हैं उसके अनुसार सरकार को निर्णय करना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि सरकार संवेदनशीलता के साथ पेश आएगी और एग्जाम को postpone करने के लिए तैयार हो जाएगी। #SpeakUpForStudentSafety #JEE_NEET pic.twitter.com/ewPC8SgTUH
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 28, 2020
प्रदेश में बोर्ड और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन के बावजूद नीट और जेईई परीक्षाओं काराजनीतिक कारणों से विरोध के आरोपों पर सीएम गहलोत ने स्पष्ट किया कि राजस्थान में जो हमारे एग्जाम हो रहे हैं, उसके लिए गांव-गांव में सेंटर बनाए गए हैं, इसलिए हम लोग ये प्रयास कर रहे हैं किसी प्रकार से सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करके वो एग्जाम दिलवा दें, हालांकि ये बड़ा ही मुश्किल काम है, परंतु जो स्थिति नीट और जेईई एग्जाम में बनी हुई है वो अलग है। दोनों ऑल इंडिया एग्जाम है, लाखों बच्चे बैठेंगे, उस रूप में सरकार को सोचना चाहिए। अनावश्यक ऐसा इश्यू बन गया और ये छात्र ऐसे हैं जो बिना कारण के न तो हड़ताल करते हैं, न वो धरना देते हैं, न वो आक्रोश व्यक्त करते हैं। उनका तो एक ही ध्येय है कि हम कैसे जेईई और नीट में पास कैसे हों, अपना करियर कैसे बनाएं।
उन्होंने केन्द्र से मांग की कि मैं चाहूंगा कि सरकार खुद आगे आकर सोचे कि जो लाखों बच्चे एग्जाम में बैठने जा रहे हैं उनके पैरेंट्स पर क्या गुजर रही होगी, कितने चिंतित होंगे, क्या होगा आगे आने वाले वक्त में। उन्होंने कहा कि समय बहुत कम बचा है, जल्दी फैसला करें और अगर परीक्षाएं पोस्टपॉन्ड करनी पड़े तो सरकार को हिचक नहीं करनी चाहिए। मेरा मानना है कि सरकार जो निर्णय करे, छात्रों की क्या भावना है, पेरेंट्स क्या सोचते हैं, उसके अनुसार करना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि सरकार संवेदनशीलता के साथ में पेश आएगी और एग्जाम को पोस्टपॉन्ड करने के लिए तैयार हो जाएगी।