निजीकरण के खिलाफ 25 सितमबर से शुरू होगा अभियान

निजीकरण के खिलाफ 25 सितमबर से शुरू होगा अभियान

Newspoint24.com/newsdesk/

मथुरा | पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव की खामियों को अवगत कराने के लिए विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्म दिन 25 सितंबर से प्रदेश के सांसदों एवं विधायकों को ज्ञापन देने के अभियान की शुरूआत करेगी। यह अभियान गांधी जयन्ती तक चलेगा।
समिति के सदस्य एवं उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ के प्रदेश अध्यक्ष वी पी सिंह ने गुरूवार को पत्रकारों से कहा कि आंदोलन टालने के लिए समिति अभी ऐसे तरीके अपना रही है जिनसे टकराव भी न हो और प्रदेश के दोनो ही सदनों के सांसदों एवं विधायकों को यह मालूम हो जाय कि ऊर्जा निगम का शीर्ष प्रबंधन अपनी विफलता को छिपाने के लिए मुख्यमंत्री से निजीकरण का ऐसा कार्य कराने जा रहा है जिससे जनता की न केवल परेशानियां बढ़नेवाली हैं बल्कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को सरकार के इस गलत निर्णय का जवाब जनता को देना मुश्किल हो जाएगा। निजीकरण से जनता को महंगी बिजली मिलेगी।


उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के प्रदेश में संक्रमण के दौरान समित के संयोजक शैलेन्द्र दुबे नही चाहते कि समिति आंदोलन का रास्ता अपनाए किंतु इसके बावजूद यदि पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के विघटन एवं निजीकरण की दिशा में एक भी और कदम उठाया गया तो बिना और कोई नोटिस दिए सभी ऊर्जा निगमों के बिजलीकर्मी उसी क्षण अनिश्चितकालीन आंदोलन , जिसमे पूर्ण हड़ताल भी होगी प्रारम्भ कर देंगे। इसकी सारी जिम्मेदारी प्रबंधन एवं सरकार की होगी। समिति ने बिजलीकर्मियों से अनिश्चितकालीन हड़ताल और सामूहिक जेल भरो आंदोलन के लिए तैयार रहने का भी आह्वान किया है ।
श्री सिंह ने कहा कि संघर्ष समिति ने प्रदेश सरकार और प्रबंधन से विगत में किए गए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता की समीक्षा करने की भी अपील की किंतु ऐसा लगता है कि प्रबंधन निजीकरण और फ्रेंचाइजीकरण की विफलता पर कोई समीक्षा करने को तैयार नहीं है ।
पत्रकार वार्ता में मौजूद समिति के सदस्य एवं उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ के प्रदेश सचिव प्रभात सिंह ने कहा की निजीकरण के विरोध में संघर्ष समिति ने 24 अगस्त को ही नोटिस दे दी थी। उन्होने कहा कि प्रदेश भर में विरोध सभा चल रही हैं किंतु ऊर्जा निगम के शीर्ष प्रबंधन ने संघर्ष समिति से वार्ता करने के बजाए नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सभी अठारह पदाधिकारियों को धमकाने की दिशा में एक पत्र भेजा है जिसमें कहा गया है कि विरोध सभाएं करने पर आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत एक साल की सजा, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत एक साल की सजा जिसे दो साल और बढ़ाया जा सकता है तथा पैनडेमिक एक्ट के तहत जुर्माना की सजा बिजली कर्मचारियों को दी जाएगी ।
उनका आरोप था कि इस प्रकार ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबंधन धमकी की भाषा का प्रयोग कर ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति को पैदा कर रहा है। उनका यह भी आरोप था कि संघर्ष समिति ने प्रदेश सरकार और प्रबंधन से विगत में किए गए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता की समीक्षा करने की अपील की थी किंतु ऊर्जा निगमों का प्रबंधन बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं को हड़ताल के रास्ते पर धकेल रहा है।

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