आरक्षण का समर्थन करती है बीजेपी, सुप्रीम कोर्ट के कमेंट पर जेपी नड्डा ने साफ किया स्टैंड
Newspoint24.com/newsdesk/
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट की ओर से आरक्षण को मौलिक अधिकार न बताए जाने के बाद इस मसले पर बहस छिड़ गई है। आगामी बिहार के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सतर्क हुई भाजपा ने अपना रुख आरक्षण के मसले पर साफ कर दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी आरक्षण का समर्थन करती है। मोदी सरकार वंचित तबके को आरक्षण की सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आरक्षण के मसले पर किसी भी तरह के भ्रम से लोगों को बचने की सलाह दी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को कहा, “समाज में कुछ लोग आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं। मोदी सरकार और भाजपा आरक्षण के प्रति पूरी तरह कटिबद्ध है। सामाजिक न्याय के प्रति हमारी वचनबद्धता अटूट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार बार इस संकल्प को दोहराया है। सामाजिक समरसता और सभी को समान अवसर हमारी प्राथमिकता है। मैं स्पष्ट करता हूं, भाजपा आरक्षण व्यवस्था के साथ है।”
मोदी सरकार और भाजपा आरक्षण के प्रति पूरी तरह कटिबद्ध है। सामाजिक न्याय के प्रति हमारी वचनबद्धता अटूट है। प्रधानमंत्री @narendramodi जी ने बार बार इस संकल्प को दोराहया है। सामाजिक समरसता और सभी को समान अवसर हमारी प्राथमिकता है।मै स्पष्ट करता हूँ, भाजपा आरक्षण व्यवस्था के साथ है। pic.twitter.com/NWGY3LiirR
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) June 12, 2020
माना जा रहा है कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा सतर्क है। पिछले विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए पार्टी ने आरक्षण पर बहस छिड़ते ही तुरंत स्टैंड साफ करते हुए समर्थन किया है। बिहार के पिछले चुनाव के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बयान में आरक्षण की समीक्षा किए जाने की बात कही थी, जिसे तब राजद मुखिया लालू यादव ने चुनाव के दौरान खूब भुनाया था। लालू प्रसाद यादव ने समीक्षा की बात को आरक्षण खत्म करने की चाल बताते हुए इसे चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया था। हालांकि, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैलियों में साफ कर दिया था कि उनकी सरकार आरक्षण से कोई छेड़छाड़ नहीं करने वाली है। बावजूद, इसके पार्टी को चुनाव में आरक्षण का मुद्दा उछलने पर नुकसान उठाना पड़ा था।
अब एक बार फिर से आरक्षण पर बहस, सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार को दिए गए एक फैसले से उठी। जब सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी कोटा को लेकर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा था कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। यह याचिका तमिलनाडु की कई पार्टियों ने दाखिल की थी। याचिका में मेडिकल कॉलेजों में 50 फीसदी सीटें ओबीसी के लिए रिजर्व करने की मांग की गई थी।