हाथरस मामले के पीछे थी बड़ी साजिश, मिले सुराग, वित्तीय फंडिंग भी की गई

हाथरस मामले के पीछे थी बड़ी साजिश, मिले सुराग, वित्तीय फंडिंग भी की गई

Newspoint24.com/newsdesk/राजेश तिवारी

जांच एजेंसियों के हाथ लगे कई ऑडियो टेप,
फोटोशाप्ड तस्वीरें वायरल करके की गई नफरत पैदा करने की कोशिश


लखनऊ/हाथरस । हाथरस कांड में जांच एजेंसियों को योगी सरकार के खिलाफ खतरनाक साजिश के अहम सुराग मिले हैं। हाथरस के बहाने योगी सरकार को बदनाम करने के लिए बड़ी साजिश रची गई थी। इस बावत कई ऑडियो टेप जांच एजेंसी के हाथ लगे हैं।

जांच एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की कोशिश थी। दंगे भड़काने के लिए अफवाहों और फर्जी सूचनाओं का सहारा लिया गया। इसके लिए सोशल मीडिया का भी दुरूपयोग किया गया। इस साजिश में शामिल लोगों के खिलाफ प्रमाण मिलने पर लखनऊ में मुकदमा दर्ज करने की भी खबर है। इस साजिश में पीएफआई, एसडीपाई और सरकार के निशाने पर रहे माफियाओं की मिलीभगत के ठोस सुराग जांच एजेंसी को मिले हैं। यह भी पता चला है कि उत्तर प्रदेश में अराजकता पैदा करने के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय फंडिंग की गई है।

हाथरस में बीते दिनों एक 19 साल की युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, बाद में इलाज के दौरान दिल्ली के एक अस्पताल में युवती की बीते मंगलवार को मौत हो गई थी। मुख्‍यमंत्री के निर्देश पर शनिवार को अपर मुख्‍य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्‍थी और डीजीपी हितेष चंद्र अवस्‍थी हाथरस में पीड़ित परिवार से मिलने गये थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने अधिकारियों के साथ शनिवार रात एक बैठक की। इस बैठक के बाद देर रात सम्पूर्ण हाथरस प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए गए।

सूत्र बताते हैं कि साजिश में सीएए के उपद्रव में शामिल रहे संगठनों की भूमिका के भी सबूत मिले हैं। उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाने, उपद्रवियों से वसूली कराने और घरों की कुर्की कराये जाने की मुख्यमंत्री योगी की कार्रवाइयों से परेशान तत्वों ने यूपी में बड़ी साजिश रची थी। शासन का दावा है कि सरकार की सतर्कता ने यूपी को जातीय और सांप्रदायिक दंगे में झुलसने से बचा लिया है और एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया है।

जांच से जुड़े एक अधिकारी ने हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी को बताया कि पीड़ित लड़की की जीभ काटे जाने, अंग-भंग करने और गैंगरेप से जुड़ी तमाम अफवाहें जानबूझकर उड़ाई गईं, ताकि प्रदेश में नफरत की आग भड़कायी जा सके। अफवाह फैलाने के लिए तमाम वैरिफाइड सोशल मीडिया एकाउंट का भी इस्तेमाल किया गया। फिलहाल जांच एजेसियां वैरिफाइड एकाउंट का ब्योरा तैयार करने में जुटीं हैं। अफवाहें फैलाने और नफरत पैदा करने के लिए चंडीगढ़ की एक मृतका की तस्वीरें हाथरस की बेटी बताकर वायरल की गई। दंगे भड़काने के लिए तमाम आपत्तिजनक और फोटोशाप्ड तस्वीरों का जमकर इस्तेमाल किया गया।

नाम जाहिर न करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि जांच पड़ताल में प्रथम दृष्टया यह भी पाया गया है कि दूसरे प्रांत की शवों की फोटोशाप्ड तस्वीरों को हाथरस की पीड़िता की तस्वीरें बताकर नफरत पैदा करने की कोशिश की गई है। इस मामले में अब तक यूपी साइबर सेल ने करीब एक दर्जन मामले दर्ज किए हैं और धरपकड़ के लिए टीमें लगाई गई हैं। यह बात भी सामने आयी है कि हाथरस के पीड़ित परिवार को सरकार के खिलाफ भड़काने की साजिश हुई। इस बावत सबूत के तौर पर अधिकारियों के हाथ कई ऑडियो टेप लगे हैं। जांच एजेंसियों ने ऑडियो टेप का संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी है। जांच अधिकारियों का दावा है कि ऑडियो टेप में कुछ राजनीतिक दलों से सम्बद्ध लोग व कुछ पत्रकारों की भी आवाज है। इस रहस्य का भी खुलासा हुआ है​ कि पीड़ित परिवार को सरकार के खिलाफ भड़काने के लिए ‘पचास लाख से लेकर एक करोड़’ तक का लालच दिया गया।

ऑडियो टेप से खुलासा हुआ है कि एक महिला पत्रकार ने सीएम से पीड़ित परिवार की बातचीत के तुरंत बाद परिवार को भड़काया, कहा ‘अगर सीएम की बात मान ली तो पुलिस उल्टे तुम्हें ही साबित कर देगी अपराधी’। इस बातचीत के बाद परिवार दहशत में आया है। सूत्रों की मानें तो जांच एजेंसियां ऑडियो टेप की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट आते ही भड़काने वालों का पालीग्राफ और नार्को टेस्ट की तैयारी में हैं।

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