नितिन गडकरी ने पहला ब्लास्ट करके शुरू कराया एशिया की सबसे लम्बी जोजिला सुरंग के बनाने का कार्य

नितिन गडकरी ने पहला ब्लास्ट करके शुरू कराया एशिया की सबसे लम्बी जोजिला सुरंग के बनाने का कार्य

Newspoint24.com/newsdesk/सुनीत निगम/

  • पाकिस्तान सीमा पर बढ़ेगी अग्रिम चौकियों की चौकसी, मुस्तैदी और ताकत
  • श्रीनगर-कारगिल-लेह राजमार्ग पर 11, 578 फीट की ऊंचाई पर बनेगी सुरंग


नई दिल्ली । देश को अटल टनल की सौगात देने के बाद दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक जम्मू-कश्मीर में जोजिला-दर्रे के पास गुरुवार को एशिया की सबसे लम्बी सुरंग बनाने का कार्य शुरू हुआ। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए पहला ब्लास्ट किया।

पाकिस्तान की सीमा तक 14.15 किमी. लंबी बनने वाली इस सुरंग से भारत की एलओसी तक रणनीतिक पहुंच मजबूत होगी। यह सुरंग लोगों की आवाजाही आसान करने के साथ ही सेना की रणनीतिक जरूरतों को भी पूरा करेगी, क्योंकि यह सुरंग पूरे साल राजमार्ग को खुला रखने में मदद करेगी। पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा करीब होने से अभी तक इसी इलाके से होने वाली आतंकवादियों की घुसपैठ पर भी काफी हद तक लगाम लग सकेगी।

वैसे तो इस सुरंग के प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने अक्टूबर, 2013 में ही मंजूरी दे दी थी लेकिन पांच बार टेंडर निकाले जाने के बावजूद किसी भी एजेंसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। हर बार बोली रद्द होने के बाद मई 2017 में एलएंडटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज, जेपी इंफ्राटेक और रिलायंस इंफ्रा कम्पनियां सामने आईं। टेंडर प्रक्रिया जुलाई 2017 में आईएल एंड एफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क्स लिमिटेड के पक्ष में पूरी हुई। इस फर्म ने 4,899 करोड़ की लागत से सात साल में सुरंग का निर्माण के लिए बोली हासिल की। जनवरी 2018 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भूमि अधिग्रहण लागत सहित 6808.63 करोड़ की लागत से बनने वाली एशिया की सबसे बड़ी 14.2 किलोमीटर की द्वि-दिशात्मक जोजिला-दर्रे की सुरंग को मंजूरी दी। 19 मई, 2018 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के शिलान्यास करने के बाद सुरंग का निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। इस बीच मार्च 2019 में सुरंग का निर्माण कर रही कंपनी दिवालिया घोषित हो गई।

इसके बाद फरवरी 2020 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस पूरी परियोजना की विस्तार से समीक्षा की। लागत को कम करने और प्राथमिकता पर सुस्त परियोजना को निष्पादित करने के लिए मंत्रालय के महानिदेशक (आरडी) और एसएस आईके पांडे की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह को मामला भेजा। विशेषज्ञ समूह ने परियोजना विन्यास और कार्यान्वयन के तौर-तरीकों का सुझाव दिया, ताकि कम से कम समय और लागत में परियोजना को पूरा किया जा सके। इसलिए जून 2020 में फिर से नए टेंडर निकाले गए। अगस्त 2020 में मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 4509 करोड़ रुपये में बोली हासिल की। इस प्रोजेक्ट के तहत 14.15 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने के अलावा 18.63 किलोमीटर लंबी एप्रोच रोड का निर्माण ढाई साल में किया जाएगा। इस तरह से पूरे प्रोजेक्ट में 32.78 किलोमीटर लम्बी सड़क बनाई जाएगी।

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