राजस्थान की सत्ता हासिल होते ही बढ़ने लगी थी गहलोत-पायलट के बीच दूरियां

राजस्थान की सत्ता हासिल होते ही बढ़ने लगी थी गहलोत-पायलट के बीच दूरियां

Newspoint24.com/newsdesk/

जयपुर। राजस्थान में दिसंबर 2018 से सत्तारूढ हुई कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच गुजरे डेढ़ सालों में ऐसे कई मौके सामने आ चुके हैं, जब दोनों के बीच मतभेद सार्वजनिक हुए हैं। यह बात अलग है कि पार्टी के मंच पर सार्वजनिक रूप से दोनों नेता इन मतभेदों को नकारते रहे हैं। अब विधायकों की खरीद-फरोख्त के प्रकरण में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की ओर से दोनों नेताओं को बयान के लिए नोटिस दिए जाने के बाद पायलट ने इसे आत्मसम्मान का मुद्दा बना लिया है।

वर्ष 2018 में पार्टी की ओर से विधानसभा चुनाव के लिए नेता के चुनाव के समय से ही दोनों नेताओं के बीच मतभेद पैदा होना शुरु हो गए थे। कांग्रेस ने जीत के बाद पार्टी आलाकमान ने तीसरी बार अशोक गहलोत को राजस्थान की कुर्सी सौंपी तो यह दरार ज्यादा बढ़ गई। असल में, इसकी बड़ी वजह यह थी कि वर्ष 2013 के चुनाव में करारी हार के बाद प्रदेश में पार्टी की मजबूती के लिए सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। पायलट ने सरकार बनने तक के 5 सालों में पार्टी के लिए खूब पसीना बहाया। सरकार के गठन के बाद मंत्री पद के आवंटन को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच उभरी नाराजगी सामने आई।

लोकसभा चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों के चयन के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब जोधपुर से अपने पुत्र वैभव गहलोत को उम्मीदवार बनाया तो तनातनी का अगला चैप्टर उजागर हो गया। लोकसभा चुनाव के बाद पायलट खेमे ने तो यहां तक कहा था कि अशोक गहलोत का पूरा ध्यान बेटे की सीट जोधपुर पर ही लगा रहा और उन्होंने बाकी जगह पर मुश्किल से प्रचार किया। इसी कारण कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में कामयाबी नहीं मिली।

इसके बाद मेयर पद पर उम्मीदवारों के चयन और कोटा के अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत के मुद्दे पर पायलट और गहलोत के बीच मतभेद खुलकर सामने आए। बच्चों की मौत पर जहां अशोक गहलोत ने इसके लिए पूर्व की सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं सचिन पायलट ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को ज्यादा संवेदनशीलता से संभाल सकती थी। इस साल की शुरुआत में पायलट ने राज्य के कुछ क्षेत्रों में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की। इसे सीधे तौर पर गहलोत के खिलाफ टिप्पणी के रूप में देखा गया। क्योंकि, गृह मंत्रालय उन्हीं के पास है।

हाल ही में राज्यसभा चुनाव में भी दोनों के बीच तनाव बढ़ गया था। गहलोत ने राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस सचिव नीरज डांगी को मैदान में उतारा। पायलट ने विरोध किया, लेकिन गहलोत अपनी पसंद पर डटे रहे। परिणामों में कांग्रेस ने दोनों सीट जीत ली।

राजस्थान में हो रही राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर पिछले महीने संजय गांधी की पुण्यतिथि मनाने के लिए पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में पायलट ने कटाक्ष में कहा था कि राज्य में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बड़ी मेहनत की है, ऐसे में उन्हें इसका रिवार्ड मिलना चाहिए।

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