अमित शाह के माइंडगेम में फंसी शिवसेना

अमित शाह के माइंडगेम में फंसी शिवसेना


Newspoint24.com/newsdesk/अश्विनीकुमार मिश्र/

सुशांत सिंह की रहस्यमय मौत ,रिया की गिरफ्तारी और कंगना राणावत के दफ्तर पर मुंबई मनपा के चले बुलडोजर के बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में नया त्रिकोण बनता नजर आ रहा है. हालाँकि इन घटनाओं पर अखबार कुछ नहीं लिख रहे लेकिन महाराष्ट्र सरकार में शामिल घटकों में बेचैनी पैदा करने में यह घटना सफल रही है पिछले 24 घंटे में तेजी से घटे घटना क्रम में कंगना राणावत का मुंबई में शानदार आगमन और उस पर उठी जनभावना का पूरे देश में बड़ा असर हुआ है।

एक अभिनेत्री के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की क्रूरता की गाथा ने शिवसेना के इतिहास में काला पन्ना जोड़ दिया है। बिहार के सुशांत ,बंगाल की रिया और हिमाचल की कंगना राणावत के कारण मुंबईं में राजनीतिक दंगल खड़ा हो गया है। इस अनावश्यक दंगल में शिवसेना ,जहाँ सबके आक्रमण का निशाना बनी है ,वहीँ राष्ट्रवादी कांग्रेस के सुप्रीमो शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को सरेआम झिड़का है।इस घटना को लेकर पवार और उद्धव के बीच मंथन भी हुआ। सूत्र बताते हैं की मुख्यमंत्री तोडू कार्रवाई पर अदालत की फटकार के बाद भी खुन्नस में ही थे और उनके अजेंडे में कगना को सबक सिखाने के लिए राष्ट्रद्रोह का मुकदमा और उनके घर तोड़ने की तैयारी शामिल थी। लेकिन गहन चिंतन के बाद राजनीति के महाघाघ शरद पवार ने बुधवार को हुई घटना के सम्बन्ध में जो विवेचना उद्धव के सामने रखी उस से उनकी आँखें खुल जानी चाहिए। सुशांत काण्ड में रिया की तरफददारी के दौरान शिवसेना के संजय राउत और कंगना राणावत के बीच हुए शब्द युद्ध ने मामले को सड़क पर ला दिया । दरअसल कंगना के माध्यम से गृह मंत्री अमित शाह ने जो माइंड गेम खेला उसमें उसमें उद्धव ठाकरे पूरी तरह भ्रमित हो गए और सरकार होते हुए भी उटपटांग कार्रवाई करना उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता की निशानी बन गया।

महः विकास आघाडी के मुखिया कंगना को महत्त्व देकर महाराष्ट्र सरकार ने अपनी भद्द करा ली है। इस से ऑपरेशन लोटस को महत्व मिल सकता है। उधर इस अजीबो गरीब गठबंधनवाली सरकार के कारण शिवसैनिक भ्रमित हैं और दिशा सालियान की आत्महत्या, सुशांत की मौत और कंगना की दहाड से वे विचलित हैंं। हालाँकि सीबीआई ऐसा दिखा रही है कि उसके हाथ कुछ नहीं लगा, लेकिन ड्रग का जो मामला इसमें जुड़ा है उस से शिवसेना की छवि धूमिल होने लगी है। शिवसैनिक इस तरह के लांछन से परेशान हैं।

यह नए तरह का कलंक ठाकरे परिवार और शिवसेना पर लगा तो पूरी पार्टी का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। दूसरी ओर सीबीआई की चल रही जांच में अगर कोई सूत्र शिवसेना से जुड़ता है तो यह शिवसेना के लिए घातक होगा । उधर 22 सितंबर को मुंबई की अदालत ने कंगना की तरफ फैसला सुनाया तो राज्य सरकार की भारी किरकिरी होगी। और अगर कंगना ने तोडू कार्रवाई में हुए नुकसान का मुआवजा मांग लिया तो शिवसेना का घमंड चकनाचूर हो सकता है।

कहते हैं बुधवार को महाराष्ट्र के लिए एक और घटना दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट में दिखी जहां मराठा आरक्षण के मामले में महाराष्ट्र सरकार को झटका लगा। और तो और दो दिन के विधान सभा सत्र में भी तिपहिया सरकार बैकफुट पर रही। इन सारे घटनाक्रम पर उद्धव सरकार के ढुलमुल रवैये से राष्ट्रवादी कांग्रेस के सुप्रीमों पवार ने असहजता दिखाई है।और कांग्रेस भी इन घटनाओं को तौल रही है।और बिहार चुनाव में उसे उतरना है ।

पवार ने अगाह है किया कि कंगना का कश्मीर वाला बयान और आनन् फानन में उसे केंद्र सरकार से दी गयी वाय +श्रेणी की सुरक्षा से उद्धव सरकार को समझ जाना चाहिए था कि राजनीतिक चारा फेंका जा चुका है। लेकिन वर्क फ्रॉम होम कर रहे मुख्य मंत्री को जमीनी असलियत का पता ही नहीं था और कंगना शिव सेना पर दहाड़ती हुई मुंबई में दाखिल हो गयी। इस तरह सुशांत पर सीबीआई जांच ,रिया की गिरफ्तारी और कंगना पर हुई कार्रवाई शिवसेना व ठाकरे परिवार के गले की फांस बन सकती है । कहा जा रहा है कि बुधवार को वर्षा पर हुई बैठक में शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को सलाह देते हुए कहा कि कंगना राणावत सिर्फ एक बॉलीवुड सेलिब्रिटी है, उनको बेवजह तवज्जो नहीं देना चाहिए । यह भी कि उद्धव ठाकरे को उसी वक्त पीछे हट जाना चाहिए था, जब कंगना राणावत को अमित शाह ने वाई+ सिक्योरिटी दिलवा दी जो सिर्फ न्यायाधीशों को दी जाती है । शरद पवार ने यह भी कहा कि कंगना द्वारा मुंबई के खिलाफ इस्तेमाल की गई भाषा से ही जनता की राय सरकार के पक्ष में हो जाती। इस से शिवसेना का वोट बैंक भी बचा रहता,इसलिए दफ्तर ढहाए जाने की कार्रवाई गैरज़रूरी थी और गलत समय पर की गयी कार्रवाई थी । शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से मराठा आरक्षण मुद्दे पर फोकस करने के लिए कहा है। और अमित शाह के माइंड गेम से सतर्क रहने की सलाह दी है।

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