कृषि संबंधी विधेयकों पर राज्यसभा की भी मुहर, डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ी

कृषि संबंधी विधेयकों पर राज्यसभा की भी मुहर, डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ी

Newspoint24.com/newsdesk/आकाश राय/

राज्यसभा में कृषि विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने वेल में खड़े होकर की नारेबाजी
विपक्षी सांसदों ने कृषि विधेयकों को बताया ‘काला कानून’, वापस लेने की मांग
‘ तानाशाही बंद करो ‘ के नारे भी लगे।
उपसभापति से रूल बुक छीनने की कोशिश भी की, जिससे उपसभापति के टेबल की माइक टूट गई।


नई दिल्ली । कृषि संबंधी विधेयकों पर राज्यसभा की भी मुहर लग गई। विपक्षी पार्टियों के जोरदार हंगामे के बीच रविवार को कृषि क्षेत्र से जुड़े दो विधेयक संसद में पास हुये। लोकसभा में पहले ही पास हो चुके विधेयक को आज राज्यसभा में पेश किया गया। कृषि विधेयक ध्वनि मत से पास हुआ। विपक्षी पार्टीयों के सांसदों ने जम क्र हंदमा काटा। ‘ तानाशाही बंद करो ‘ के नारे भी लगे। विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण 10मिनट के लिए राज्यसभा की कार्यवाही को स्थगित भी किया गया। ममता की पार्टी टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उप सभापति के आसन के पास पहुंचकर रूल बुक फाड़ दी और आरोप लगाया कि सदन की कार्यवाही नियमों के खिलाफ हुई है।

कृषि संबंधी विधेयकों पर विपक्ष की नाराजगी को लेकर रविवार को राज्यसभा में चर्चा के लिए चार घंटे का समय तय किया गया। हालांकि चर्चा का यह सत्र काफी हंगामेदार रहा। इन बिलों को लेकर विपक्ष के आक्रामक रुख के बीच विपक्षी दलों के कई सांसदों ने वेल के पास इकट्ठा होकर नारेबाजी भी की। राज्यसभा में हंगामे के दौरान विपक्षी सांसदों ने पर्चे भी उछाले और विधेयक को काला कानून बताते हुए वापस लेने की मांग की। इस बीच टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति से रूल बुक छीनने की कोशिश भी की, जिससे उपसभापति के टेबल की माइक टूट गई। हालांकि वहां मौजूद मार्शल ने टीएमसी सांसद को रोक दिया। लेकिन फिर नाराज डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ दी।

उच्च सदन में कृषि विधेयकों को लेकर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी और समाजवादी पार्टी ने बिल का विरोध किया। जबकि राजग (एनडीए) की घटकदल शिरोमणि अकाली दल भी इन विधेयकों के विरोध में रही। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह बहुत स्पष्ट है कि इस सरकार का मकसद हमारे किसानों को नष्ट करना तथा कॉर्पोरेट क्षेत्र की मदद करना है। हमारी पार्टी ने कृषि विधेयकों का विरोध करने का निर्णय लिया है। सरकार को इन विधेयकों पर पुनर्विचार करना होगा, कम से कम उन्हें इसे चुनिंदा समिति को भेजना चाहिए था।

कांग्रेस सांसद अहमद पटेल ने कहा कि नोटबंदी से तबाह होने के बाद किसानों के लिए 2019 में हमने कुछ योजनाएं बनाई थीं। उन योजनाओं में से भाजपा ने अपनी सुविधा के हिसाब से दो बिन्दु उठा लिए लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि भारतीय जनता पार्टी बाकी के बिन्दुओं को भी पढ़े तब उन्हें पूरी बात पता चल सकेगी। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी कहा कि कांग्रेस वह पार्टी है जिसने आजादी की लड़ाई लड़ी और देश के लिए बलिदान दिया। ऐसे में भाजपा को फिर से इतिहास पढ़ना चाहिए।

पंजाब से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने विधेयकों को ‘किसानों का डेथ वारंट’ बताया। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी किसी भी कीमत पर इस पर साइन नहीं करेगी।

शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने कृषि विधेयकों को पंजाब के किसानों के खिलाफ बताते हुए उन्हें प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को पंजाब के किसानों को कमजोर नहीं समझना चाहिए।

आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस कानून के जरिए किसानों के साथ धोखा करने का काम हुआ है। उन्होंन कहा कि बिल के जरिए किसानों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का काम किया जा रहा है। यह एक काला कानून है जिसका आम आदमी पार्टी विरोध करती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एफडीआई का जमकर विरोध किया था लेकिन आज वो खुद किसानों को पूंजीपतियों के हाथ में गिरवी रखने जा रही है। देश के किसानों की आत्मा को बेचने का काम हो रहा है।

चर्चा के दौरान शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अगर यह बिल किसान विरोधी है तो पूरे देश में विरोध क्यों नहीं हो रहा है? अगर पूरे देश में विरोध नहीं हो रहा है तो इसका मतलब है कि बिल में दम है लेकिन कुछ कन्फ्यूजन भी है। सरकार कह रही है कि एमएसपी नहीं हटाई जाएगी, ये केवल अफवाह है। तो अकाली दल की मंत्री ने सिर्फ अफवाह पर भरोसा करके कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।

वहीं चर्चा के लिए कम समय मिलने पर संजय राउत नाराज भी हुए। उन्होंने कहा कि इतनें महत्वपूर्ण बिल पर चर्चा के लिए 2 मिनट मिलता है बोलने के लिए। मैं कहना चाहूंगा कि जब इस तरह के बिल लाए जाएं तो विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।

एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि अगर सरकार को किसानों के लिए कोई बिल लाना ही था तो कम से कम किसानों के नेता शरद पवार से चर्चा करनी चाहिए थी। किसानों के मामलों को लेकर खुद प्रधानमंत्री ने भी उनकी तारीफ की है।

आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि अगर यह बिल सदन से पास होता है तो समझ लीजिए आप किसानों के लिए ‘शोक संदेश’ लिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि, ‘मैं यहां सभी से एक हृदयविदारक अपील करना चाहता हूं। देश के किसानों ने अपना विप जारी कर दिया है। अब आपको तय करना है कि आप दल के इतिहास में रहना चाहते हैं या फिर किसानों के दिलों के इतिहास में रहना चाहते हैं।’

वहीं प्रधानमंत्री की एक टिप्पणी का जिक्र करते हुए मनोज झा ने कहा, “पीएम मोदी कहते हैं कि विपक्ष देश को गुमराह कर रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि उन्होंने राहें ही गुम कर दीं।”

इससे पहले, सदन में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि ये बिल ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। इस बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिए आजाद होगा। इन विधेयकों से किसानों को महंगी फसलें उगाने का अवसर मिलेगा। वहीं एमएसपी को लेकर विशेष तौर पर उठाए गए सवाल पर तोमर ने स्पष्ट किया कि एमएसपी पहले की कीह तरह जारी रहेगी। इसके हटाने को लेकर सरकार कोई प्रावधान नहीं लाने जा रही।

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