एलओसी और एलएसी पर तीनों सेनाएं रेड अलर्ट पर

एलओसी और एलएसी पर तीनों सेनाएं रेड अलर्ट पर

Newspoint24.com/newsdesk/सुनीत निगम/


प्रधानमंत्री ने सेना के तीनों अंगों में आपसी समन्वय कायम करने का निर्देश दिया
रक्षा मंत्री ने ​सशस्त्र बलों को ‘छोटे नोटिस’ पर संघर्ष के लिए तैयार रहने को कहा


नई दिल्ली । पाकिस्तान और चीन के साथ चल रहे तनाव के कारण एलओसी और एलएसी पर तीनों सेनाओं को किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया गया है। इसके आदेश के बाद से थल सेना, नौसेना और वायुसेना ने दोनों सीमाओं पर अपनी-अपनी तैनाती की समीक्षा करने के साथ ही नए सिरे से हथियारों और सैनिकों को संभालना शुरू कर दिया है। 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को वायुसेना कमांडरों के सम्मेलन में ​​सशस्त्र बलों को ‘छोटे नोटिस’ पर संघर्ष के लिए तैयार रहने को कहा है। ​​प्रधानमंत्री ने सेना के तीनों अंगों में आपसी समन्वय कायम करने का निर्देश दिया है। सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) ने भी देश की उत्तरी या पश्चिमी सीमाओं पर एयरफोर्स के साथ-साथ नौसेना के युद्धक विमानों को भी तैनात रखने का विजन दिया है​​। ​सरकार ने ​पहले ही ​आर्मी को खुली छूट देने के साथ ही यह भी निर्देश ​दे रखे हैं कि एलएसी पर चीन के आक्रामक होने पर उसे उसी की भाषा में जवाब दिया जाए।​

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा स्थिति ​
​भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की चार दौर की वार्ता के बाद जमीनी हकीकत कुछ भी नहीं बदली है​ लेकिन चीन गलवान जैसी झड़प नहीं दोहराने पर सहमत हुआ है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की अध्यक्षता में चाइना स्टडी ग्रुप (सीएसजी) भी इस बारे में चर्चा कर चुका है। एनएसए डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर खुद भी चीन से वार्ता कर चुके हैं। कूटनीतिक स्तर पर भी सारे प्रयास किये जा चुके हैं लेकिन हर स्तर की बातचीत में चीन ने सहमति भी जताई है। इसके बावजूद एलएसी पर स्थिति जस की तस है​। यही वजह है कि लेह-लद्दाख दौरे पर गए रक्षामंत्री ने चीन का नाम लिये बगैर ललकारा था कि चीन से अब तक हुई चार दौर की बातचीत में जितनी प्रगति हुई है, उससे मामला हल होना चाहिए लेकिन विवाद कहां तक हल होगा, इसकी गारंटी नहीं दे सकता। इसके बावजूद इतना यकीन दिलाना चाहता हूं कि भारत की एक इंच जमीन भी दुनिया की कोई ताक़त छीन नहीं सकती, उस पर कोई कब्जा नहीं कर सकता। राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य प्रयासों के बावजूद सीमा पर चीन की बढ़ रही हलचल को देखते हुए भारतीय सेनाओं ने जून के आखिर में ही सीमा पर ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी कर दिया था ताकि सेना और वायु सेना आकस्मिक स्थिति आने पर चंद मिनटों में चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए तैयार रहें।

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सीमा पर जमीनी हकीकत यह है कि दोनों पक्षों के सैनिक अब भी बहुत कम फासले पर मौजूद हैं। पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 और 17ए पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं। सबसे ज्यादा विवादित क्षेत्र पैंगोंग झील के किनारे से चीनी सैनिक फिंगर-4 से फिंगर-5 तक पीछे हटे हैं लेकिन अभी भी रिज लाइन या छोटे पहाड़ी रास्तों से हटने को तैयार नहीं हैं। भारतीय सैनिक फिंगर-3 और फिंगर-2 के बीच आ गए हैं। अभी भी चीनी सेना ने फिंगर-8 और फिंगर-4 के बीच बनाए गए ढांचों को नहीं गिराया है। पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में चीनी सेना ने 2 किमी. चौड़ा बफर जोन बनाने से इनकार कर दिया है। पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 के पास करीब 1,000 चीनी सैनिकों ने एलएसी पार करके भारतीय क्षेत्र में 4 किमी. तक घुसपैठ की है। यही हाल भारत के पेट्रोलिंग प्वाइंट-17A के समीप स्थित गोगरा पोस्ट का है, जहां चीनी सेना भारतीय क्षेत्र में लगभग 2 किमी. घुस आई है और अब दोनों ओर से लगभग 1,500 सैनिक टकराव की स्थिति में हैं। अब चीनी सैनिकों की नजरें भारत के पेट्रोलिंग प्वाइंट-18, 19, 20, 21, 22 और 23 पर टिकी हैं।

भारतीय सेना
​​सेना को लद्दाख में चीन के साथ होने वाले मतभेद के बारे में ​अलर्ट किया ​गया ​है,​​ क्योंकि शीर्ष सैन्य नेतृत्व को लगता है कि ​चीन सर्दियों ​तक सीमा से पीछे जाने की पूरी प्रक्रिया को खींच​कर ​इसी बीच किसी भी तरह का दुस्साहस कर सकता है​​। ​​इसीलिए भारतीय सेना​ भी​ शीतकालीन तैनाती और रसद को लेकर लंबे समय की तैनाती के लिए तैयारी कर रही है​​।​​ ​सेना ने सीमा पर 40 हजार से ज्यादा सैनिकों की तैनाती कर रखी है​​।​​ अतिरिक्त बटालियन, आर्टिलरी गन और बख्तरबंद गाड़ियों को​ भी तैनात किया है। भारतीय सेना एलएसी पर विवादित इलाकों का कोई भी हिस्सा असुरक्षित नहीं छोड़ना चाहती है, इसीलिए चीनी सेना के जवाब में अपने सैनिकों की भी तैनाती बढ़ा​ई है। परिस्थिति या ​ठण्ड के ​वातावरण के अभ्‍यस्‍त सैनिकों की तैैनाती पूर्वी लद्दाख में उन ​ऊंची पहाड़ियों पर की गई जहां वह मुस्तैदी के साथ चीनियों से मोर्चा संभाल सकते हैं। ​सेना ​तालमेल बढाने के लिए ​​वायुसेना ​के साथ 26 जून को एलएसी पर साझा युद्धाभ्यास ​भी कर चुकी है। लद्दाख के लेह क्षेत्र में 11500-16500 फुट की ऊंचाई पर ​हुए साझा युद्धाभ्यास में लड़ाकू और परिवहन विमान भी शामिल हुए।

वायुसेना
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में चल रहे युद्धाभ्यास के बीच वायुसेना ने भी हार्पून एंटी शिप मिसाइल से लैस लगभग 10 जगुआर लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी है। भारत ने धुवास्त्र मिसाइल का किया सफल परीक्षण किया है​।​ चीन के किसी भी आक्रमण का जवाब देने के लिए पूर्वी लद्दाख की सीमा पर अग्रिम चौकियों तक फौज और आसमान में लड़ाकू विमानों के बाद स्वदेश निर्मित आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को भी तैनात किया गया है। डीआरडीओ निर्मित यह प्रणाली दुश्मन के लड़ाकू विमानों का 30 किलोमीटर दूर से सरहद की ओर आने वाली हर मिसाइल का पहले ही पता लगाकर उसे नीचे ला सकती है। इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है।

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