कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए बीई और जॉनसन एंड जॉनसन के बीच समझौता

कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए बीई और जॉनसन एंड जॉनसन के बीच समझौता

Newspoint24.com/newsdesk/

नयी दिल्ली। घरेलू दवा निर्माण कंपनी बायोलॉजिकल ई लिमिटेड (बीई) अमेरिकी कंपनी जाॅनसन एंड जॉनसन की दवा कंपनी जैनसेन फार्मास्युटिका द्वारा विकसित की जा रही कोरोना वैक्सीन का उत्पादन करेगी। जैनसेन की यह वैक्सीन अभी मानव परीक्षण के पहले और दूसरे चरण में है।

आंध्रप्रदेश के हैदराबाद स्थित दवा कंपनी बीई की प्रबंध निदेशक महिमा दातला ने कहा,“ कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में हमारी क्षमता इसी से निर्धारित होगी कि हम पर्याप्त मात्रा में कोरोना वैक्सीन की वैश्विक आपूर्ति कैसे करते हैं। हम इसी दिशा में जॉनसन एंड जॉनसन की कोरोना वैक्सीन के उत्पादन में अपनी निर्माण क्षमता का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

जॉनसन एंड जॉनसन का कहना है कि उसकी कोरोना वैक्सीन अलग -अलग देशों में मानव परीक्षण के अलग -अलग चरण में है। जापान में पहले चरण का परीक्षण हो रहा है तो नीदरलैंड, स्पेन और जर्मनी में दूसरे चरण का। अगर ये परीक्षण सफल होते हैं तो सितंबर से तीसरे चरण का परीक्षण शुरु हो जायेगा।

जॉनसन एंड जॉनसन का कहना है कि अगर उसके द्वारा विकसित वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी साबित हो जाती है, तो कंपनी का लक्ष्य अगले साल पूरी दुनिया में वैक्सीन की एक अरब से अधिक डोज वितरित करने का है। इसी उद्देश्य के तहत कंपनी ने अमेरिकी सरकार के साथ वैक्सीन की 10 करोड़ डोज देने का इस माह समझौता किया है। कंपनी का कहना है कि अगर अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) से आपात स्थिति में वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाती है तो वह अमेरिका को वैक्सीन की 10 करोड़ डोज की आपूर्ति करेगी।

कंपनी ने कहा है कि उसकी कोरोना वैक्सीन का उत्पादन नीदरलैंड स्थित उसके दवा कारखाने में होगा। इसके अलावा दवा के निर्माण के लिए उसने अमेरिका, भारत, इटली आदि देशों की दवा कंपनियों से समझौते किये हैं।

बीई ने इसके अलावा अमेरिका के बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के साथ भी एक समझौता किया है। बेलर कॉलेज द्वारा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के बाद कंपनी नयी कोरोना वैक्सीन को विकसित करने और उसके उत्पादन में जुट जायेगी। बीई का कहना है कि बेलर कॉलेज के साथ किये गये समझौते से किफायती वैक्सीन विकसित करने में मदद मिलेगी, जिससे भारत और अन्य निम्न तथा मध्यम आयवर्ग वाले देशों को लाभ होगा।

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