मुस्लिम बेटों ने दुर्गा माँ की अर्थी को दिया कांधा

मुस्लिम बेटों ने दुर्गा माँ की अर्थी को दिया कांधा

●मृतिका को मुस्लिम बहुल इलाके के रहवासियों ने नम आंखों से दी बिदाई
●इंसानियत की मिसाल बनी दुर्गा माँ की अर्थी

इंदौर-पंकज शर्मा Newspoint24.com / newsdesk /
इंसानियत आज भी दिलो में जिंदा है। इस बात को साबित किया इंदौर शहर के उन बाशिंदों ने जो एक वर्ग विशेष के होने के बाद भी हिन्दू धर्म की महिला का अंतिम संस्कार किया।

जी हां ,आपने सही पढ़ा और तस्वीरों में जो आपने देखा वह आंखों पर यकीन करने के लिए बहुत है।
असल मे मामला इंदौर के साउथ तोड़ा इलाके में स्थित जूना गणेश मंदिर के पास रहने वाली एक बुज़ुर्ग महिला जिनका नाम दुर्गा है।वो अपनी अंतिम सांस लेकर इस दुनिया को छोड़ चुकी थी।मृतिका दुर्गा को मुहल्ले वाले दुर्गा माँ नाम से पुकारते थे । पिछले कुछ दिनों से दुर्गा माँ बीमार थी । रात को मोहल्ले में रहने वालों मुस्लिम परिवारों ने तबियत पूछी। फिर सुबह जब देखा तो मोहल्ले में रोना धोना शुरू हो गया । मालूम हुआ कि दुर्गा माँ नही रही। फिर उनके दो लड़के है जो कही और रहते है, उन्हें जानकारी दी गई लेकिन लॉक डाउन होने की वजह से उन्हें आने में देर हो गई।
लेकिन जब वो आये तो उनके पास इतने पैसे भी नही थे कि वे अपनी माँ का अंतिम संस्कार कर सके। तभी मुहल्ले के अकील भाई, असलम भाई, मुद्दसर भाई ,राशिद इब्राहिम ,मामू इमरान ,सिराज जैसे मुस्लिम भाइयो ने अपनी दुर्गा माँ का अंतिम संस्कार का इंतजाम किया और इंसानियत की एक सुनहरी इबारत लिखकर इतिहास के पन्नो में गंगा जमुनी तहजीब को दर्ज कर दिया। आज के इस माहौल में जब दूर्गा मां के लिए मुस्लिमो ने जो काम किया वो नफरत फैलाने वालों के मुंह पर जोरदार तमाचा है। इन मुस्लिमों ने दुर्गा माँ को कंधा दिया और अंतिम यात्रा में शामिल भी हुए।
हिन्दू मुस्लिम के भेद से ऊपर उठकर मोहल्ले के मुस्लिम बेटों ने अपनी दुर्गा माँ की अर्थी भी उठाई और मुखाग्नि तक मे साथ रहे।
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