ट्रंप की धमकी के बीच मोदी सरकार का पलटवार अपने नागरिकाें के लिए पर्याप्त दवा की उपलब्धता के बाद ही निर्यात करेगा भारत
Newspoint24 / newsdesk /यूनिवार्ता
खबर एक नजर में
प्रतिरोधक क्षमता संबंधी दवाओं का निर्यात खुला
हमारी कंपनियाें की भंडारण स्थिति के आधार पर उनके निर्यात अनुबंधों को पूरा करने की अनुमति दी जा सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल भी किया।
इस दवा का नाम है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन।
कोरोना की भयावहता का सामना कर रहे अमेरिका ने भारत से मदद मांगी है।
पहले देशवासियो को मिले ज़रूरी दवा : राहुल
नयी दिल्ली। सरकार ने कोविड 19 पर नियंत्रण के लिए अमेरिका को हाइड्रोक्लोरोक्विन के निर्यात की संभावना को लेकर जारी अटकलबाजी और राजनीतिक विवाद के बीच कहा कि देशवासियों के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद ही इन दवाओं का निर्यात किया जाएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यहां संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, “हमने देखा है कि मीडिया के एक वर्ग में कोविड 19 संबंधी दवाओं के मुद्दे पर गैर जरूरी विवाद पैदा करने की कोशिश की गयी है। एक जिम्मेदार सरकार के रूप में हमारा पहला दायित्व यह है कि हमारे लोगों की जरूरत के लिए दवाओं का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित हो। इसके लिए कुछ अस्थायी कदम उठाये गये और कुछ औषधियों के निर्यात को प्रतिबंधित किया गया।”
श्रीवास्तव ने कहा कि इसबीच विभिन्न परिदृश्यों में संभावित जरूरतों को लेकर एक व्यापक आकलन किया गया। सभी संभावित आपात स्थिति में दवाओं की उपलब्धता की पुष्टि होने के बाद इन प्रतिबंधों को काफी हद तक हटा लिया गया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने कल 14 औषधियों पर प्रतिबंध हटाने की अधिसूचना जारी की है। जहां तक पैरासीटामॉल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का सवाल है, उन्हें लाइसेंस वाली श्रेणी में रखा गया है और उनकी मांग की स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जाएगी। हालांकि हमारी कंपनियाें की भंडारण स्थिति के आधार पर उनके निर्यात अनुबंधों को पूरा करने की अनुमति दी जा सकती है।
In view of the humanitarian aspects of #COVID19 pandemic, it has been decided that India would licence paracetamol & Hydroxychloroquine in appropriate quantities to all our neighbouring countries who are dependent on our capabilities: Ministry of External Affairs (MEA) pic.twitter.com/W7Vox2sd2E
— ANI (@ANI) April 7, 2020
प्रवक्ता ने कहा कि कोविड 19 की व्यापकता को देखते हुए भारत ने हमेशा कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुटता एवं सहयोग प्रदर्शित करना चाहिए। इस महामारी के मानवीय पहलुओं के मद्देनजर निर्णय लिया गया है कि भारत अपने उन सभी पड़ोसी देशों को पैरासीटामॉल और हाइड्रोक्लोरोक्विन समुचित मात्रा में लेने का लाइसेंस देगा। इसके अलावा हम उन देशों को भी ये आवश्यक दवाएं देंगे जो इस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इसलिए हम इस संबंध में किसी भी प्रकार की अटकलबाजी या इसे राजनीतिक रंग देने के प्रयासों को हतोत्साहित करेंगे।
We will also be supplying these essential drugs to some nations who have been particularly badly affected by the pandemic. We would therefore discourage any speculation in this regard or any attempts to politicise the matter: Ministry of External Affairs (MEA) #COVID19 https://t.co/T4BPoXkLDM
— ANI (@ANI) April 7, 2020
प्रतिरोधक क्षमता संबंधी दवाओं का निर्यात खुला
सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग को देखते हुए प्रतिरोधक क्षमता और दर्द निवारक संबंधी कुछ दवाओं का निर्यात खोल दिया है।
मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बेहद कारगर दवा है। भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं। इसलिए भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करती हैं। पूरी दुनिया में कोरोना महामारी की वजह से लोग परेशान हैं। सबसे ज्यादा चिंता इलाज को लेकर है। कोरोना की भयावहता का सामना कर रहे अमेरिका ने भारत से मदद मांगी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल भी किया। वह भी सिर्फ एक दवा के लिए, इस दवा का नाम है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन। कोरोना की भयावहता का सामना कर रहे अमेरिका ने भारत से मदद मांगी है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को यहां बताया कि विदेश व्यापार महानिदेशालय ने इस आशय की अधिसूचना कल देर शाम जारी कर दी। अधिसूचना के अनुसार लगभग 25 दवाएं निर्यात के लिए खोल दी गई हैं। ये दवाएं प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और दर्द निवारण से संबंधित हैं। इन दवाओं में विटामिन संबंधी दवाएं हैं अधिसूचना के जरिए सरकार ने तीन मार्च को जारी अधिसूचना में बदलाव किया है। सरकार का निर्णय तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है।
सूत्रों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोरोना महामारी को देखते हुए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और दर्द निवारण दवाइयों की भारी मांग है। सूत्रों ने बताया कि देश में इस आशय की दवाइयों की कोई कमी नहीं है सरकार ने लॉकडाउन के दौरान विशेष आर्थिक क्षेत्रों में दवा और चिकित्सा उपकरण बनाने वाली इकाईयां चालू रखने का निर्देश दिया था। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के दौरान कई देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों ने चिकित्सा और दवाइयों की मदद मांगी है।
पहले देशवासियो को मिले ज़रूरी दवा : राहुल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन की भारत से आपूर्ति नहीं होने पर पलटवार की धमकी के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार को किसी के दबाव में आये बिना पहले अपने नागरिको को जीवन रक्षक दवा उपलब्ध करानी चाहिए।
गांधी ने मंगलवार को कहा कि सबसे पहले हमारे नागरिको की ज़रूरत पूरी होनी चाहिए और उनको पर्याप्त मात्रा में ज़रूरी दवा मिलनी चाहिए उसके बाद ही ज़रूरतमंद देशो की मदद की जानी चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया,“ दोस्ती में बदला नहीं होता। भारत को संकट के समय सभी ज़रूरतमंद देशों की मदद करनी चाहिए लेकिन पहले देशवासियो के लिए पर्याप्त मात्रा में जीवन रक्षक दवा उपलब्ध होनी चाहिए।”
गौतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिया है कि अगर भारत ने हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन दवा के निर्यात से प्रतिबंध नहीं हटाया तो वह जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। इस दवा का इस्तेमाल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में किया जा रहा है जिसे देखते हुए ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस दवा की आपूर्ति के लिए गुहार लगाई थी।
ट्रंप ने दवा कंपनियों के प्रमुखों से की बातचीत: व्हाइट हाउस
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के रोकथाम के लिये दवा कंपनी और बायो-टेक कंपनियों के प्रमुखों से बातचीत की।
I spoke to him (PM Modi), Sunday morning & I said we appreciate it that you are allowing our supply (of Hydroxychloroquine) to come out, if he doesn’t allow it to come out, that would be okay, but of course, there may be retaliation, why wouldn’t there be?: US Pres Donald Trump pic.twitter.com/kntAqATp4J
— ANI (@ANI) April 6, 2020
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता स्टेफनी ग्रिशाम ने सोमवार को यह जानकारी दी।
ग्रिशाम ने ट्वीट कर कहा, “कोरोना के खिलाफ जंग में राष्ट्रपति ने दवा कंपनी और बायो-टेक कंपनियों के कार्यकारी निदेशकों से चर्चा करने के लिये बैठक बुलायी।”
उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन निजी उद्योगों और सरकारों के बीच भागीदारी बढ़ाने के लिये सतत प्रयास कर रहा है।
जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार सोमवार दोपहर तक अमेरिका में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 10,000 के पार हो गयी जबकि 352500 लोग उससे संक्रमित हो गये हैं।